कोरोना से कई गुना खतरनाक है निपाह वायरस! ICMR के डीजी बोले-केरल में क्यों आ रहे संक्रमण के मामले, समझ से परे

Nipah Virus Outbreak : डॉ. बहल ने कहा कि हम नहीं जानते कि केरल में निपाह के मामले क्यों सामने आते रहते हैं। हमारे पास केवल 10 रोगियों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी खुराक हैं; यह अब तक किसी को भी नहीं दी गई है। भारत ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक मांगी है, संक्रमण के प्रारंभिक चरण के दौरान दवा दी जानी चाहिए।

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केरल में गंभीर हो रहा निपाह वायरस।

Nipah Virus Outbreak : निपाह वायरस पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) का कहना है कि निपाह वायरस का संक्रमण कोरोना से ज्यादा 'गंभीर एवं खतरनाक' है। आईसीएमआर के महानिदेशक राजीव बहल ने शुक्रवार को कहा कि निपाह में संक्रमित लोगों की मृत्यु दर बहुत अधिक (40 से 70 प्रतिशत के बीच) है, जबकि कोविड के मामले में यह 2-3 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि निपाह के प्रकोप को रोकने के प्रयास जारी हैं। सभी संक्रमित व्यक्ति ‘इंडेक्स पेशेंट (पहला संक्रमित मरीज)’ के संपर्क में आए थे।

'मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के प्रभाव का अभी परीक्षण नहीं हुआ'

डॉ. बहल ने कहा कि हम नहीं जानते कि केरल में निपाह के मामले क्यों सामने आते रहते हैं। हमारे पास केवल 10 रोगियों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी खुराक हैं; यह अब तक किसी को भी नहीं दी गई है। भारत ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक मांगी है, संक्रमण के प्रारंभिक चरण के दौरान दवा दी जानी चाहिए। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का प्रभावकारिता परीक्षण नहीं किया गया है, केवल चरण एक का परीक्षण पूरा हुआ है; इसे केवल संभावित औषधि के रूप में ही दिया जा सकता है।

कोरोना जैसे हैं इसके शरुआती लक्षण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कहा है कि निपाह वायरस के संक्रमण से मृत्यु दर 40 से 70 फीसदी तक हो सकती है। यह एक वायरल संक्रमण है। इसका नामकरण मलेशिया के एक गांव पर हुआ है। निपाह संक्रमण का पहला केस यहीं पर साल 1998-99 में सामने आया था और इसका मृत्यु दर काफी अधिक था। निपाह से संक्रमित होने पर इसके शुरुआती लक्षण सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और नाक बहने के रूप में सामने आते हैं। लेकिन बाद में वायरस जब मस्तिष्क को प्रभावित करने लगता है तब व्यक्ति गंभीर मस्तिष्क रोग की चपेट में जाता है।

संक्रमण से व्यक्ति की मौत हुई

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने यहां शुक्रवार को बताया कि केरल के कोझिकोड जिले में 39 वर्षीय एक व्यक्ति के निपाह वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। यह व्यक्ति एक संक्रमित मरीज के सीधे संपर्क में आया था जिसकी 30 अगस्त को संक्रमण से मृत्यु हो गई थी। उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण राज्य सरकार ने उन सभी लोगों की जांच का फैसला किया जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं और जिनके संक्रमित होने का जोखिम अधिक है।

केरल में मौजूद है विशेषज्ञों की टीम

पुणे में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एनआईवी ने बृहस्पतिवार को जिले में वायरस के नमूनों की जांच के लिए कोझिकोड में अपनी मोबाइल बीएसएल -3 (बायोसेफ्टी लेवल -3) प्रयोगशाला भेजी थी। कोझिकोड में संक्रमण से दो लोगों की मौत हो चुकी है। स्थिति का जायजा लेने और निपाह संक्रमण के प्रबंधन में राज्य सरकार की सहायता करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) के विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय केंद्रीय टीम को केरल में भेजा गया है।

पूरा राज्य इस तरह के संक्रमण की चपेट में

यह चौथी बार है जब राज्य में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। 2018 और 2021 में कोझिकोड में और 2019 में एर्नाकुलम में इसका पता चला था। बुधवार को 24 वर्षीय स्वास्थ्य कर्मी निपाह से संक्रमित हो गया जो संक्रमण का पांचवां मामला था। डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर के अध्ययन से पता चला है कि सिर्फ कोझिकोड ही नहीं बल्कि पूरा राज्य इस तरह के संक्रमण की चपेट में है। वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सबसे अधिक सावधानी बरतनी होगी। अध्ययन में कहा गया है कि नया वायरस जंगली क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे के भीतर उत्पन्न हुआ है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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