खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू की कथित हत्या की साजिश में भारत का हाथ? मामले का घटनाक्रम ऐसे समझिए

कनाडा ने खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया। वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दावों के जवाब में भारत ने कड़ा रुख अपनाया। आरोपों के मुताबिक गुरपतवंत सिंह पन्नू जो कि अमेरिकी नागरिक भी है।

Gurpatwant Singh Pannun

अमेरिका में छिपा है खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू। तस्वीर साभार-ट्विटर।

नई दिल्ली : नई दिल्ली : अमेरिका ने अपनी धरती पर अपने नागरिक एवं खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के मामले में दो भारतीय नागरिकों को आरोपी बनाया है। हालांकि, ये आरोप काफी गंभीर हैं और दोनों देशों की प्रतिक्रियाओं का अगर आंकलन किया जाए तो यह कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की कथित संलिप्तता को लेकर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर भारत की प्रतिक्रिया के मुकाबले बेहद अलग है।

आरोपों के मुताबिक गुरपतवंत सिंह पन्नू जो कि अमेरिकी नागरिक भी है, उसकी हत्या की साजिश अमेरिकी धरती पर रची गई। यह दावा न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस विभाग में दायर अभियोग पत्र में किया गया है। इस अभियोग पत्र में निखिल 'निक' गुप्ता नाम के शख्स को आरोपी बनाया गया है। न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के यूएस न्याय विभाग में दायर इस अभियोग पत्र को गत 30 नवंबर को खोला गया।

घटनाक्रमों की टाइम लाइन कुछ इस प्रकार है-अभियोग पत्र जिसे खोला गया है, उसमें पांच लोगों पर सवाल खड़े किए गए हैं लेकिन इसमें नाम एक व्यक्ति का लिया गया है। जिन पांच लोगों पर सवाल उठे हैं-

1- सीसी-1 : भारतीय खुफिया विभाग का एक अधिकारी जो कि भारत में रहता है, उसने यहां योजना बनाई और साजिश रची। सवालों के घेरे वाले दस्तावेज के मुताबिक वह सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) का पूर्व अधिकारी है।

2- निखिल गुप्ता : 52 साल का भारतीय नागरिक, जिसे सीसी-1 ने उसे अमेरिका में हत्या की साजिश रचने एवं उसे अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मा सौंपा। निखिल उर्फ निक गुप्ता कथित रूप से अंतरराष्ट्रीय हथियार एवं नार्कोटिक्स की तस्करी में शामिल है। गुप्ता भारत में रह चुका है।

3- सीएस : अभियोग के मुताबिक निक गुप्ता ने न्यूयॉर्क सिटी में इस साजिश को अंजाम देने में एक हिटमैन की व्यवस्था करने में मदद पहुंचाने के लिए इससे संपर्क किया। यह सीएस वास्तव में अमेरिकी कानूनी एजेंसी के साथ एक गोपनीय सूत्र के रूप में काम कर रहा था।

4-यूसी : सीएस ने इस कथित हिटमैन का परिचय गुप्ता से कराया। यूसी वास्तव में यूएस कानून एजेंसी का एक अंडरकवर एजेंट था।

5- पीड़ित : हालांकि, अभियोग पत्र में पन्नू के नाम का जिक्र नहीं है, इसके साथ ही जो ब्योरे दिए गए हैं, वे थोड़ा संदेह पैदा करते हैं। दस्तावेज में कथित पीड़ित को 'न्यूयॉर्क में रहने वाला अमेरिकी नागरिक, वकील एवं राजनीतिक एक्टिविस्ट' बताया गया है। इसके बारे में कहा गया है कि वह 'भारत सरकार का एक मुखर आलोचक है...। वह अमेरिका में एक संगठन चलाता है जो कि पंजाब में अलगाव की मांग करता है।' दस्तावेज में आगे कहा गया है कि भारत सरकार ने 'पीड़ित और उसके अलगाववादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया है।'

पूरा घटनाक्रममई 2023

एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन के जरिए बातचीत में CC-1 ने निक गुप्ता से भारत में उसके खिलाफ एक आपराधिक मामले को खारिज करने में मदद के बदले टारगेट की हत्या की व्यवस्था करने के लिए कहा। गुप्ता इससे सहमत हुआ और नई दिल्ली में CC-1 से मुलाकात की।

06 मई

CC-1 ने निक गुप्ता को संदेश भेजकर कहा कि उसका एक टारगेट न्यूयॉर्क में और दूसरा कैलिफोर्निया में है। निक ने जवाब दिया- सभी टारगेट पर काम पूरा हो जाएगा।

12 मई

CC-1 ने गुप्ता को बताया कि उसके आपराधिक मामले पर गौर किया गया है और गुजरात पुलिस से कोई दिक्कत नहीं होगी।

23 मई

CC-1 ने गुप्ता को फिर से भरोसा दिया कि उसके आपराधिक मामले पर ध्यान दिया गया है। CC-1 ने कहा कि मैंने आपके गुजरात मामले के बारे में बॉस से बात की है और सब कुछ निपट गया है और कोई भी आपको फिर कभी परेशान नहीं करेगा। CC-1 निक गुप्ता और एक डीसीपी के बीच एक बैठक कराने की भी पेशकश करता है।

29 मई

गुप्ता ने CS से यह पूछने के लिए संपर्क किया कि क्या वह किसी ऐसे शख्स को जानता है जो अमेरिका में भाड़े के बदले हत्या करने को तैयार हो। उसने कहा कि टारगेट एक वकील है जो न्यूयॉर्क शहर और दूसरे अमेरिकी शहर के बीच आता-जाता रहता है और इसके बारे में पूरा विवरण दिया। CS ने निक गुप्ता से टारगेट के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी और भुगतान विवरण भी मांगा। गुप्ता CS के टेक्स्ट का एक स्क्रीनशॉट CC-1 को भेजा, जिसने जवाब दिया- हम 150000 डॉलर का भुगतान करने के लिए तैयार हैं...काम की गुणवत्ता और इसे जल्द से जल्द किया गया तो पेशकश बढ़ सकती है। CS ने इस काम के लिए 100,000 डॉलर मांगे।

1 जून

CC-1 निक गुप्ता को न्यूयॉर्क शहर में टारगेट के घर का पता भेजता है, और कहता है, ये है टारगेट के घर का इलाका।

2 जून

CC-1 यह कहते हुए अपडेट मांगता है कि यह बहुत जरूरी है और समय कम है। गुप्ता एक दिन का समय मांगता है।

3 जून

गुप्ता ऑडियो कॉल के जरिए CS से जुड़ता है और इस काम को जल्द से जल्द पूरा करने की बात कहता है- "उसे खत्म करो भाई, उसे खत्म करो, ज्यादा समय मत लो... इन लोगों को हटाओ, इन लोगों को हटाओ... काम खत्म करो।" इसके बाद निक गुप्ता CC-1 को संदेश भेजा कि उसने NY ग्रुप से बात की है और बताया कि जल्द से जल्द टारगेट से छुटकारा पाना होगा।

4 जून

CS ने गुप्ता को टारगेट की एक कथित निगरानी तस्वीर सबूत के तौर पर भेजी कि उसकी निगरानी CS के सहयोगी कर रहे हैं। CS ने 25,000 डॉलर के अग्रिम भुगतान की मांग की और कहा कि पैसा मिलते ही टारगेट को खत्म कर दिया जाएगा।

5 जून

निक गुप्ता ने इस मैसेज को CC-1 को फॉरवर्ड किया और CC-1 से कहा कि वह अपने NY डीलर से पता करें कि क्या वह 25 हजार के भुगतान की व्यवस्था कर सकता है।

6 जून

निक गुप्ता CS को हत्या को अंजाम नहीं देने का निर्देश देता है, क्योंकि उस महीने के अंत में भारत और अमेरिका के बीच उच्च स्तरीय सरकारी वार्ता होनी है। वह CS से यह भी अनुरोध करता है कि वह उसे अपने सहयोगियों के संपर्क में रखे जिन्हें यह काम सौंपा गया है। फिर CS इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के जरिए गुप्ता को UC से परिचित कराता है। निक गुप्ता, CS और UC के साथ अपने संदेशों के स्क्रीनशॉट CC-1 के साथ साझा करता है, जो जवाब देता है- ओके भाईजी।

9 जून

CC-1 गुप्ता को संदेश देता है कि भुगतान आज जरूर कर दिया जाएगा और टारगेट की हत्या का जिक्र करते हुए कहता है, चलो इसे इस वीकेंड तक पूरा कर देते हैं। CC-1 के संदेशों के दो घंटे बाद गुप्ता UC को कॉल करता है और उसे बताता है कि न्यूयॉर्क में एक व्यक्ति उसे पार्सल ($15,000 का अग्रिम भुगतान) देगा। यह व्यक्ति मैनहट्टन में UC से मिलता है जहां UC की कार के अंदर ही पैसा दिया जाता है।

11 जून

CC-1 गुप्ता को आज ही हत्या को अंजाम देने के लिए कहता है। CC-1 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21 से 23 जून तक वाशिंगटन डीसी की हाई-प्रोफाइल यात्रा का जिक्र करते हुए कहता है, अगर यह आज नहीं होता है तो इसे 24 तारीख के बाद आंजाम दिया जाएगा।

12 जून

गुप्ता ने UC को वीडियोकॉल किया, और बोला 'हमें तुम पर ही भरोसा है'

उसी दिन उसने CS को फोन किया और बोला कनाडा में 'एक बहुत बड़ा लक्ष्य' निशाने पर था।

14 जून

गुप्ता ने CS को मैसेज किए कि हमें 'कनाडा में भी एक बेहतरीन टीम की जरूरत है।'

18 जून

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित गुरूद्वारा के बाहर नकाब लगाए हुए बंधकूधारी ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी, निज्जर खालिस्तानी अलगाववादी का साथी था।

CC-1 ने गुप्ता को एक वीडियो क्लिप भेजी । वीडियो में निज्जर का खून से लथपथ शरीर उसके कार में पड़ा हुआ था। इस वीडियो को गुप्ता ने CS और UC को भी फॉरवर्ड किया।

करीब एक घंटे बाद, CC-1 ने गुप्ता को एक गली का पता भेजा, जो कि न्यूयॉर्क शहर में स्थित पीड़ित के घर का पता था।

19 जून

गुप्ता ने UC को ऑडियो कॉल कर बताया 'निज्जर भी हमारे निशाने पर था। और फिर बोला हमारे निशाने पर कई लोग हैं, हमारे निशाने पर कई लोग हैं।'

उसने CS से भी बात करते हुए एक बार तस्दीक किया कि निज्जर निशाने पर था। जिसकी गुप्ता पहले भी कनाडा में एक संभावित काम के रूप में जिक्र कर चुका था। उसने कहा था कि हमने यह काम UC को नहीं दिया था। किसी दूसरे व्यक्ति ने कनाडा में यह काम किया था।

अपनी पुरानी योजना में बदलाव करते हुए गुप्ता ने CS से यह भी कहा कि भले ही पीएम मोदी की यात्रा है, इस हत्या को हमें जल्द से जल्द अंजाम देना होगा। गुप्ता ने कहा कि मेरे भाई हमें इस काम को अंजाम देने की इजाजत मिल गई है, हम इसे कभी भी कर सकते हैं, यहां तक कि आज और कल भी कर सकते हैं, जितना जल्दी संभव हो करना है।

गुप्ता ने कहा कि उसने CS को इस बात के लिए भी सतर्क किया कि निशाने पर लिया गया व्यक्ति सुरक्षा घेरे के साथ हो सकता है, ऐसे में अगर वह अकेले नहीं हो तो सभी को मार डालो।

20 जून

CC-1 ने गुप्ता को एक न्यूज आर्टिकल भी भेजा जो कि पीड़ित के बारे में लिखा गया था। और यह संदेश दिया 'अब यह काम हमारी प्राथमिकता में है।'

गुप्ता ने CS को फोन कर कहा ' 29 जून तक हमें इस काम को हर हाल में पूरा करना है। यानी उसमें से एक पीड़ित है उसके बाद 3 अन्य कनाडा में निशाने पर हैं।

22 जून

CC-1 ने गुप्ता को मैसेज किया कि पीड़ित घर पर नहीं है। गुप्ता ने UC को कॉल किया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। उसके बाद उसने UC को मैसेज किया कि हमारे सूत्रों के अनुसार पीड़ित घर पर नहीं है। इसलिए घर में घुसने से पहले पूरी तरह से उसकी उपस्थिति पक्की कर लें।

25 जून

UC ने गुप्ता को पीड़ित के घर और उसके आस-पास की कई सारी तस्वीरें भेंजी, जो जीपीएस से कनेक्ट थे। इसके बाद गु्प्ता ने CC-1 को डिटेल फॉरवर्ड कर दी।

26 जून

CC-1 ने इन मैसेज पर जवाब दिया 'बहुत अच्छे, अगले 24 घंटे बेहद अहम हैं' पीड़ित घर, ऑफिस में से कही न कहीं मिल जाएगा। गुप्ता ने यह जानकारी यूसी को भेजी, और कहा कि पीड़ित के घर, ऑफिस और जिस कैफे में वह जाता रहता है, उस पर नजर रखो।'

29 जून

गुप्ता ने UC को मैसेज भेजा कि उसे पीड़ित के बारे में सूचना मिली है, वह ... अपने घर पर पहुंच गया है। और आज वह पक्का घर से बाहर निकलेगा। गुप्ता ने UC को निर्देश दिया कि आज हत्या करनी है। अगर तुम उसे देखने के बाद उसकी पहचान से सुनिश्चित हो, तो इस काम को अंजाम दे डालो।

30 जून

गुप्ता भारत से चेक रिपब्लिक गया। जहां उसे चेक रिपब्लिक की अथॉरिटी ने अमेरिका के आग्रह पर गिरफ्तार कर लिया। और दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार उसे लाया गया।

भारत सरकार की प्रतिक्रियामीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि अमेरिकी अधिकारियों ने पन्नू की हत्या की साजिश को विफल कर दिया । और इस साजिश में भारत का हाथ शामिल होने की चिंताएं भी भारत सरकार से साझा की है और उसे चेतावनी भी दी है। आरोपों के सामने आने के बाद भारत ने जांच के लिए एक पैनल का गठन किया है ।

बुधवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुआ है कि हम इस मामले में पहले ही कह चुके हैं कि द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर चर्चा के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने संगठित अपराधियों, बंदूकधारियों, आतंकवादियों और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ से संबंधित कुछ इनपुट साझा किए थे। उस दौरान हमने यह भी संकेत दिया था कि भारत ऐसे इनपुट को गंभीरता से लेता है क्योंकि वे हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी प्रभाव डालते हैं और संबंधित विभाग पहले से ही इस मुद्दे की जांच कर रहे थे।

इस संदर्भ में, 18 नवंबर को भारत सरकार ने मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं को देखने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे यह भी कहा कि भारत यह भरोसा दिलाता है कि समिति की जांच से जो बात सामने आएगी, उसके आधार पर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

डिस्क्लेमर : ये घटनाक्रम अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से अभियोग पत्र में लगाए गए आरोपों पर पूरी तरह से आधारित हैं। अभियोग पत्र को गत 30 नवंबर को खोला गया। कोर्ट से दोषी साबित होने तक ये सभी प्रतिवादी निर्दोष समझे जाएंगे।

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