‘Dilli Chalo’ March: क्या हैं किसान संगठनों की प्रमुख 12 मांगें, केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत तय करेगा मार्च का रुख?
Farmers ‘Dilli Chalo’ March : किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से सोमवार शाम चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों से दूसरे दौर की वार्ता होनी है। किसान नेताओं के साथ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय बातचीत करेंगे।
13 मार्च को दिल्ली कूच करने वाले हैं किसान।
Farmers ‘Dilli Chalo’ March : फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गांरटी के लिए कानून बनाने सहित अपनी अन्य कई मांगों को लेकर किसान 13 फरवरी को दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का दावा है कि 'दिल्ली चलो' मार्च में 200 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हो रहे हैं। किसानों के इस मार्च को देखते हुए सरकार अलर्ट पर है। हरियाणा के कई जिलों में मोबाइल सेवा निलंबित कर दी गई है।
हरियाणा बॉर्डर पर भारी सुरक्षा
दिल्ली से लगने वाले हरियाणा बॉर्डर पर भारी पुलिस बलों एवं सुरक्षाकर्मियों की तैनाती है। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से सोमवार शाम चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों से दूसरे दौर की वार्ता होनी है। किसान नेताओं के साथ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय बातचीत करेंगे। समझा जाता है कि इस बातचीत का नतीजा मंगलवार के किसानों के मार्च का रुख तय कर सकता है।
किसान संगठनों की प्रमुख 12 मांगें हैं
- किसानों की सबसे बड़ी एवं प्रमुख मांग है कि फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए सरकार कानून बनाए। यह कानून स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट पर लागू हो।
- दूसरी मांग किसानों एवं मजदूरों का पूरा कर्ज माफ करने की है।
- किसान और मजदूरों के लिए पेंशन का प्रावधान।
- किसान संगठन चाहते हैं कि लखीमपुरी खीरी कांड के आरोपियों को सजा मिले और किसानों पर दज केस वापस लिए जाएं और उन्हें न्याय मिले।
- भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 में बदलाव करने की मांग। कलेक्टरेट रेट से चार गुना मुआवाजा देने की मांग।
- विश्व व्यापार संगठन से दूरी बनाने एवं मुक्त व्यापार समझौते को प्रतिबंधित करने की मांग।
- दिल्ली आंदोलन के समय जान गंवाने वाले किसान परिवारों को मुआवजा पर पीड़ित परिवार को नौकरी मिले।
- मनरेगा के तहत दिहाड़ी 700 रुपए देने और साल में कम से कम 200 दिन रोजगार मिले।
- मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग का गठन हो।
- खराब बीज, पेस्टिसाइड और उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगे और बीज की गुणवत्ता में सुधार हो।
- आदिवासियों की जमीन पर कंपनियों को कब्जा करने से रोका जाए। उनके जल, जंगल और जमीन के अधिकार को सुरक्षित किया जाए।
- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को खत्म कर दिया जाए।
किले में तब्दील हुई सीमा
किसान संगठनों के मार्च को देखते हुए हरियाणा और दिल्ली में कई स्थानों पर कंक्रीट के अवरोधक, सड़क पर बिछने वाले नुकीले अवरोधक और कंटीले तार लगाकर पड़ोसी राज्यों से लगी सीमाओं को किले में तब्दील कर दिया गया है। इसके अलावा निषेधाज्ञा लागू की गई है और हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा चुका है। एक ओर केंद्र ने किसान यूनियनों की मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को उन्हें एक और बैठक के लिए आमंत्रित किया है, तो दूसरी ओर प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाओं को अवरुद्ध करने के कदम की रविवार को विपक्षी दलों और किसान समूहों ने आलोचना की।
दिल्ली पुलिस ने यातायात परामर्श जारी किया
किसानों के प्रस्तावित मार्च को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने यातायात परामर्श जारी किया है। परामर्श में यात्रियों को राष्ट्रीय राजधानी की तीन सीमाओं पर वाहनों की आवाजाही पर लगी पाबंदियों के बारे में सचेत किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के सिलसिले में 13 फरवरी को मार्च निकालने का आह्वान किया है।
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