कर्नाटक में कांग्रेस के 'हनुमान' रहे हैं डीके शिवकुमारः संकट काट दल को उबारा, पर अपनी बाधाएं न कर सके पार
दरअसल, दक्षिण भारतीय राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को चुनाव हुए थे। कांग्रेस ने इनमें शानदार जीत हासिल करते हुए 135 सीटें अपने नाम की थीं। वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा नीत जनता दल (सेक्युलर) को क्रमश: 66 और 19 सीटों से संतोष करना पड़ा था।

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार। (फाइल)
डीके शिवकुमार न सिर्फ कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं बल्कि दक्षिण भारतीय सूबे में अपने दल के लिए "हनुमान" भी हैं। उन्हें दल के ‘संकटमोचक’ नेता के रूप में देखा जाता है। शिवकुमार के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान ही पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में (10 मई को नतीजे आए) 135 सीटों के साथ जीती। वैसे, 61 साल के शिवकुमार न सिर्फ 2023 के चुनाव में बल्कि पीछे भी कई अहम मौकों पर पार्टी के लिए संकट काटने वाले नेता की भूमिका निभा चुके हैं। आठ बार के इस विधायक को अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाता हैं। खासतौर पर 2023 के विस चुनाव में अहम भूमिका के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी खूब पीठ थपथपाई। हालांकि, इस सब के बाद भी वह मुख्यमंत्री बनने की राह में अपने सामने आई बाधाओं को पार न कर सके।
उन्होंने इससे पहले साल 2002 में महाराष्ट्र में तब अहम भूमिका निभाई थी, जब तत्कालीन विलासराव देशमुख नीत सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के एक नेता ने इस बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री (दिवंगत) विलासराव देशमुख के खिलाफ 2002 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, तब वह शिवकुमार के संपर्क में आए। एक संकटमोचक के रूप में शिवकुमार ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की तारीख तक, एक सप्ताह के लिए बेंगलुरु के बाहरी इलाके में अपने रिसॉर्ट में महाराष्ट्र के विधायकों को रखा था। उनके इस कदम ने देशमुख सरकार को सत्ता से बेदखल होने से बचा लिया था।’’
पार्टी के दूसरे नेता ने बताया कि वर्ष 2017 में राज्यसभा के लिए गुजरात में हुए चुनाव में कांग्रेस के (दिवंगत) नेता अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित करने में भी शिवकुमार ने ‘महत्वपूर्ण’ भूमिका निभाई थी। उन्होंने उस वक्त भी गुजरात के कांग्रेस विधायकों को एक रिसॉर्ट में रखा था।वैसे, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सितंबर 2018 में शिवकुमार, नई दिल्ली में कर्नाटक भवन के एक कर्मचारी ए हनुमंथैया और अन्य के खिलाफ धन शोधन का एक मामला दर्ज किया था। यह मामला कथित कर चोरी और हवाला लेन-देन के लिए बेंगलुरु की एक अदालत के समक्ष शिवकुमार और अन्य के खिलाफ दाखिल आयकर विभाग के आरोपपत्र पर आधारित है।
विभाग ने शिवकुमार और सहयोगी एस के शर्मा पर तीन अन्य आरोपियों की मदद से ‘हवाला’ से नियमित रूप से बड़ी मात्रा में बेहिसाबी नकद राशि दूसरी जगह भेजने का आरोप लगाया। विभाग और ईडी की ओर से कई छापे मारे गए और उनके खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए। ईडी ने तीन सितंबर, 2019 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पूछताछ के बाद शिवकुमार को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें 23 अक्टूबर, 2019 को जमानत मिल गई। ईडी ने 26 मई, 2022 को शिवकुमार के खिलाफ धन शोधन रोधी कानून के तहत आरोपपत्र दाखिल किया।
वैसे, 15 मई 1962 को कनकपुरा में जन्मे शिवकुमार ने 1980 के दशक में छात्र नेता के रूप में सियासी करियर शुरू किया था। वह इसके बाद वह पार्टी में आगे बढ़ते चले गए। उन्होंने पहला चुनाव सथानूर विधानसभा क्षेत्र से 1989 में लड़ा था और तब वह सिर्फ 27 साल के थे। वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता शिवकुमार ने कनकपुरा में भाजपा के सीनियर नेता और छह बार के विधायक व राजस्व मंत्री आर अशोक को 1.22 लाख मतों के अंतर से हराकर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा।
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, शिवकुमार 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में 1,413 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ तीसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। डीके जिस वोक्कालिगा समुदाय से नाता रखते हैं वह कम्युनिटी मुख्य रूप से कृषि संबंधी कार्य से जुड़ी है और कर्नाटक में लिंगायतों के बाद इसे दूसरा सबसे प्रभावशाली समुदाय माना जाता है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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