सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार संस्था NCPCR को लगाई फटकार, कहा-'हमें अपने एजेंडे में मत घसीटिए'

Supreme Court slams NCPCR: एनसीपीसीआर के वकील ने कहा कि याचिका में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए झारखंड में सभी संगठनों की समयबद्ध जांच के लिए शीर्ष अदालत से निर्देश मांगे गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट

मुख्य बातें
  1. एनसीपीसीआर ने झारखंड में कथित बाल अधिकार उल्लंघन के मामलों का हवाला दिया
  2. राज्य के अधिकारियों पर 'नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति उदासीन दृष्टिकोण' का आरोप लगाया

Supreme Court slams NCPCR: एनसीपीसीआर ने झारखंड में कथित बाल अधिकार उल्लंघन के मामलों का हवाला दिया और राज्य के अधिकारियों पर 'नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति उदासीन दृष्टिकोण' का आरोप लगाया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी के झारखंड में आश्रय गृहों द्वारा कथित तौर पर बेचे गए बच्चों के मामलों की विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने की मांग करने वाली अपनी याचिका पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की खिंचाई की।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति नोंगमईकापम कोटिश्वर सिंह की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट को अपने एजेंडे में मत घसीटिए। आपकी याचिका में किस तरह की राहत मांगी गई है? हम इस तरह के निर्देश कैसे दे सकते हैं? याचिका को पूरी तरह से गलत तरीके से पेश किया गया है।'

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बाल अधिकार निकाय को बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के तहत कानून के अनुसार जांच करने और कार्रवाई करने का अधिकार है।

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