Uttarakhand : चार धाम यात्रा खुलने की हुई घोषणा, जानिए कब खुलेंगे केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री-गंगोत्री के कपाट
Kedarnath temple : केदारनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह हिंदू समुदाय का प्रमुख मंदिर है। केदारनाथ मंदिर की गणना बारह ज्योतिर्लिंगों में होती है। यह चार धामों और पंच केदारों में से भी एक है। यहां की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है।
बद्रीनाथ धामबद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में है। इसके कपाट 19 नवंबर को बंद हुए थे। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के एक स्वरूप 'बद्रीनारायण' की पूजा की जाती है। उनकी 3 मीटर (3.3 फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति के बारे में ये कहा जाता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। मंदिर के कपाट हर साल अप्रैल-मई में खोल दिए जाते हैं।
केदारनाथ धामकेदारनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह हिंदू समुदाय का प्रमुख मंदिर है। केदारनाथ मंदिर की गणना बारह ज्योतिर्लिंगों में होती है। यह चार धामों और पंच केदारों में से भी एक है। यहां की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।
kedarnath dham
यमुनोत्री धामयमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में स्थित है। उत्तराखंड के चार धाम तीर्थ यात्रा में यह चार स्थलों में से एक है। यमुना नदी के स्रोत यमुनोत्री का पवित्र गढ़, गढ़वाल हिमालय में पश्चिमीतम मंदिर है, जो बंदर पुंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है। यमुनोत्री में मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी (7 किमी दूर) में पवित्र तापीय झरना हैं। यह चार धाम यात्रा का यह पहला पड़ाव है। यमुनोत्री धाम मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने सन 1919 में देवी यमुना को समर्पित करते हुए बनवाया था।
गंगोत्री धामगंगोत्री धाम मंदिर उत्तरकाशी जिले में स्थित है। गंगोत्री नगर से 19 किमी दूर गोमुख है, जो गंगोत्री हिमानी का अन्तिम छोर है और गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरुआत में किया गया था। वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था। प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीनों के बीच गंगा मैया के दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते हैं।
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