नौसेना को DRDO ने दे दी सबसे खतरनाक टेक्नोलॉजी! दुश्मन के रडार को चकमा दे Indian Navy अब कर सकेगी हमला

इंडियन नेवी को ऐसी टेक्नोलॉजी की काफी समय से जरूरत थी। जिसपर डीआरडीओ काफी समय से काम कर रहा था। अब नौसेना को यह रडार को जाम करने वाली टेक्नोलॉजी मिल गई है।

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डीआरडीओ ने रडार को जाम करने वाली टेक्नोलॉजी नेवी को सौंपी (फोटो- Indian Govt)

मुख्य बातें
  • भारतीय नौसेना हुई और ताकतवर
  • दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला कर सकती है नेवी
  • दुश्मन के रडार को चकमा दे सकती है इंडियन नेवी

डीआरडीओ ने भारतीय नौसेना को अब ऐसी खतरनाक टेक्नोलॉजी दी है, जिससे अब वो दुश्मन के रडार को चकमा देकर हमला कर सकती है। मतलब नौसेना के जहाज से ये खास रॉकेट बिना दुश्मन की नजर में आए उनके ठिकाने पर हमला बोल सकते हैं, उसे तबाह कर सकते हैं। डीआरडीओ इस टेक्नोलॉजी पर काफी समय से काम कर रहा था।

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क्या है इस टेक्नोलॉजी की खासियत

भारतीय नौसेना के लिए मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (एमआर-एमओसीआर) विकसित किए गए हैं। यह रॉकेट बुधवार को नौसेना में शामिल किए गए। यह एक ऐसी तकनीक है, जो दुश्मन के रडार में संकेतों को अस्पष्ट करती है। प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों के चारों ओर माइक्रोवेव शील्ड बनाती है और रडार की पकड़ में आने की आशंका को कम करती है।

कैसे काम करती है ये टेक्नोलॉजी

इस मध्यम दूरी के चैफ रॉकेट में कुछ माइक्रोन के व्यास और अद्वितीय माइक्रोवेव आरोपण गुणों के साथ विशेष प्रकार के फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। इस रॉकेट को दागे जाने पर यह पर्याप्त समय के लिए पर्याप्त क्षेत्र में फैले अंतरिक्ष में माइक्रोवेव का बादल बनाता है और इस प्रकार रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ने वाले शत्रु के रडार के खतरों के विरुद्ध एक प्रभावी सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।

रक्षा मंत्री ने की तारीफ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एमआर-एमओसीआर के सफल विकास पर डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने एमओसी तकनीक को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम बताया।

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शिशुपाल कुमार author

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