DRDO का घातक हथियार 'रेलगन', 200 KM तक मारक क्षमता; बिना बारूद के दुश्मनों को कर देगा नेस्तानाबूद
DRDO जिस खतरनाक हथियार पर काम कर रहा है, उसमें बारूद का इस्तेमाल नहीं होता है। इस रेलगन में अत्यधिक उच्च वेग इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड का इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से इस हथियार की रेंज भी बढ़ जाती है और मारक क्षमता भी। इसके हमले से कोई नहीं बच सकता है।
अमेरिका कर चुका है घातक रेलगन का परीक्षण (फोटो- U.S. Navy)
तकनीक के इस युग में पूरे विश्व में अब सेना और हथियारों का भी आधुनिकरण हो रहा है। भारत में इस कार्य को डीआरडीओ (DRDO) बखूबी निभा रहा है। डीआरडीओ भविष्य के हथियारों पर जोर-शोर से काम करने में जुटा हुआ है। डीआरडीओ अब एक ऐसा हथियार बना रहा है, जो बिना विस्फोटक के ही 200 किमी तक मार कर सकता है।
क्या होंगी खूबियां
कहा जा रहा है कि रेलगन बन जाने के बाद तोपों का काम घट जाएगा। तोपों की मारक क्षमता 50 से 60 किलोमीटर तक है, जबकि रेलगन 200 किमी तक मार कर सकता है। यानि कि सीमा से काफी दूर बैठकर भी इसका इस्तेमाल दुश्मनों पर किया जा सकता है। इसकी रेंज में पारंपरिक और अत्याधुनिक दोनों तरह के हथियार आ सकते हैं। यह एक तरफ जहां जमीन पर मौजूद ठिकानों को नष्ट कर सकता है तो दूसरी ओर दुश्मनों के मिसाइल हमलों को भी रोक सकता है। समुद्र में यह युद्ध पोत को निशाना बना सकता है, तो आकाश में दुश्मन के हवाई जहाजों को नेस्तानाबूद कर सकता है। मतलब आज की तारीख में जिन कामों के लिए छोटी मिसाइलों का प्रयोग किया जा रहा है, भविष्य में रेलगन वो काम करेगा।
बारूद की जगह क्या
रेलगन पारंपरिक हथियारों से काफी अलग होगा। इसमें बारूद का इस्तेमाल नहीं होगा। बारूद की जगह इसमें इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड का प्रयोग किया जाएगा। इस सिस्टम में इलेक्ट्रिक करंट से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड तैयार होता है। जिसके कारण रेलगन में लगा हुआ गोला, ध्वनि की रफ्तार से भी 6-7 गुणा ज्यादा तेजी से बाहर की ओर निकलता है। जो दुश्मनों पर कहर बनकर टूटता है।
किसके पास है ये हथियार
इस हथियार पर भारत समेत अमेरिका, रूस और चीन काम कर रहे हैं। अमेरिका तो इसका परीक्षण भी कर चुका है। भारत में भी इसका एक परीक्षण हो चुका है। हालांकि इस हथियार पर अभी और काम किया जाना बाकी है। ये सभी देश इसे और उन्नत बनाने में लगे हुए हैं।
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