दिवाली के बाद दिल्ली में कम प्रदूषण की वजह चक्रवात सितरंग
दिवाली के बाद दिल्ली और एनसीआर की हवा बेहद जहरीली हो जाती थी। स्मॉग का असर तो इस साल भी है। लेकिन अगर पीएम 10 की बात करें तो उसकी मात्रा कम है। दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में एक्यूआई का स्तर 300 के पार था। हालांकि अगर तुलना पिछले साल या उससे पहले से करें तो एक्यूआई बेहद खतरनाक श्रेणी में नहीं था। अब ऐसे में सबके जेहन में सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि हवा उतनी जहरीली नहीं हुई। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि इस वर्ष दिल्ली में पटाखे 30 फीसद कम फोड़े गए। इसके साथ ही पराली के जलाने के एक हजार केस सामने आए जोकि पिछले वर्ष तीन हजार से अधिक था। लेकिन इन सबके बीच भारतीय मौसम विभाग ने दिल्ली और एनसीआर की हवा को ज्यादा जहरीली ना होने के लिए साइक्लोन सितरंग को बताया।
साइक्लोन सितरंग से मिला फायदा
मौसम विभाग के डीजी एम मोहपात्रा ने बताया कि साइक्लोन सितरंग ने बांग्लादेश को 80 से 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से क्रास किया था। उसका फायदा यह हुआ कि हवा का रुख उत्तर पश्चिम दिशा की तरफ हुआ और उसकी वजह से दिल्ली और एनसीआर के वातावरण में जो जहरीले कण मौजूद थे वो ज्यादातर उड़ गए।पश्चिमी हवाओं में एक ट्रफ (अपेक्षाकृत कम वायुमंडलीय दबाव का लंबा क्षेत्र, जो अक्सर मौसम प्रणालियों से जुड़ा होता है) ने भी चक्रवात के अवशेष को उत्तर-उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थानांतरित करने का कारण बना दिया। उन्होंने कहा कि जब भी कोई चक्रवात गुजरता है, तो उत्तर-पश्चिमी हवाएं भी उठती हैं क्योंकि चक्रवात हवाओं को सिस्टम की ओर खींचता है।पूरे उत्तर पश्चिम भारत में ठंडी और तेज़ हवाएँ महसूस की जा सकती हैं। यही एक कारण है कि हम इस साल दिवाली के बाद शांत वातावरण नहीं देख रहे हैं। लेकिन हम सर्दियों की ओर बढ़ रहे हैं। इसलिए ये स्थितियां धीरे-धीरे बदल जाएंगी और हम आगे शांत ठंडे दिन देख सकते हैं।
पहले से ही प्रदूषण के स्तर में थी कमी
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार को बहुत खराब श्रेणी में 303 दर्ज किया गया, जबकि पिछले साल दिवाली के एक दिन बाद 5 नवंबर को यह 462 दर्ज किया गया था। उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश कस्बों और शहरों में, विशेष रूप से भारत-गंगा के मैदानों में, पिछले साल भीषण हवा दर्ज की गई। आईएमडी के पूर्व वैज्ञानिक का कहना है कि प्रदूषण नहीं रहा क्योंकि चक्रवात के अवशेष पूर्वोत्तर भारत की ओर चले गए और उत्तर-पश्चिमी हवाएं तेज हो गईं। कोई बादल भी नहीं है इसलिए दिन गर्म हो सकते हैं। उत्तर-पश्चिम और उत्तरी भारत के ऊपर हवा की गति बढ़ रही है। इसलिए सभी हिमालय की तलहटी से प्रदूषण उत्तर पूर्व में ले जाया जाता है जहां बारिश हो सकती है इसलिए प्रदूषण धुल जाएगा। एक अन्य कारण जिस पर विचार करने की आवश्यकता है, वह है उत्तर पश्चिम भारत से मानसून की देरी से वापसी।अक्टूबर की शुरुआत में भी, इस क्षेत्र में व्यापक बारिश हुई थी जिसकी वजह से प्रदूषण में कमी आई।