राष्ट्रपति ट्रंप बनें या हैरिस, अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते कैसे होंगे, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया
India US Relation: अमेरिका में अगला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बनेंगे या कमला हैरिस, यह बहुत हद तक छह जनवरी को स्पष्ट हो जाएगा। अमेरिकी जनता पांच नवंबर को अपना 47वां राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान कर रही है। ताजा रुझानों में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर बताई गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव।
- दुनिया को प्रभावित करेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे
- चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप-कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर
- भारत का कहना है कि राष्ट्रपति जो भी बने, रिश्ते बेहतर होंगे
India US Relation: अमेरिका में अगला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बनेंगे या कमला हैरिस, यह बहुत हद तक छह जनवरी को स्पष्ट हो जाएगा। अमेरिकी जनता पांच नवंबर को अपना 47वां राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान कर रही है। ताजा रुझानों में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर बताई गई है। चुनावी मुकाबला 19-20 का है। माना जा रहा है कि मतदान के अंतिम दिन जो प्रत्याशी बढ़त बना लेगा, बाजी उसी के हाथ लगेगी। बहरहाल, अमेरिका के नए राष्ट्रपति के साथ अपने रिश्तों को लेकर दुनिया के देश सजग हैं। इस चुनाव नतीजे पर भारत की भी नजर है। विदेश मंत्री एस जयशंकर से यह पूछे जाने पर कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति के साथ भारत के रिश्ते कैसे होंगे?
नतीजा चाहे जो हो, अमेरिका के साथ रिश्ते आगे बढ़ेंगे-जयशंकर
इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, 'बीते 5 राष्ट्रपतियों के कार्यकाल के दौरान अमेरिका और भारत के रिश्ते तेजी से आगे बढ़े हैं। इसमें ट्रंप का कार्यकाल भी शामिल है। ऐसे में हम जब अमेरिकी चुनाव को देखते हैं तो हमें पूरा भरोसा मिलता है कि चुनाव नतीजा चाहे जैसा आए, अमेरिका के साथ भारत के संबंध हमेशा आगे बढ़ेंगे।' कैनबरा में जयशंकर ऑस्ट्रेलिया की अपनी समकक्ष पेन्नी वांग के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान भारत-अमेरिकी संबंधों पर एक पत्रकार ने सवाल किया।
7.8 करोड़ से अधिक अमेरिकी पहले ही वोट डाल चुके हैं
मतदान से एक दिन पहले ट्रंप और हैरिस ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन ट्रंप ने नॉर्थ कैरोलाइना, पेंसिल्वेनिया और मिशिगन में रैलियां कीं, जबकि हैरिस ने फिलाडेल्फिया और पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग में समर्थकों को संबोधित किया। अमेरिका भर में प्रारंभिक मतदान और डाक से मतदान पर नजर रखने वाले फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के ‘इलेक्शन लैब’ के अनुसार, 7.8 करोड़ से अधिक अमेरिकी पहले ही अपने वोट डाल चुके हैं। सात अहम राज्यों में से पेंसिल्वेनिया सबसे महत्वपूर्ण राज्य बनकर उभरा है, जिसके पास 19 निर्वाचक मंडल वोट हैं। इसके बाद नॉर्थ कैरोलाइना और जॉर्जिया में 16-16, मिशिगन में 15 और एरिजोना में 11 निर्वाचक मंडल वोट हैं। अन्य अहम राज्य विस्कॉन्सिन में 10 और नेवादा में छह निर्वाचक मंडल वोट हैं।
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कुल 538 निर्वाचक मंडल
अमेरिका में 50 राज्य हैं और उनमें से अधिकतर राज्य हर चुनाव में एक ही पार्टी को वोट देते रहे हैं, सिवाय ‘स्विंग’ राज्यों के । बताया जाता है कि चुनावी रूप से अहम माने जाने वाले इन ‘स्विंग’ राज्यों में मतदाताओं का रुझान बदलता रहता है। जनसंख्या के आधार पर राज्यों को निर्वाचक मंडल के वोट दिए जाते हैं। कुल 538 निर्वाचक मंडल वोट के लिए मतदान होता है। 270 या उससे अधिक निर्वाचक मंडल वोट पाने वाले उम्मीदवार को चुनाव में विजेता घोषित किया जाता है। इस चुनाव को ऐतिहासिक बताया जा रहा है क्योंकि यह पिछले कई दशकों में राष्ट्रपति पद के सबसे कड़े मुकाबले वाले चुनावों में से एक माना जा रहा है।
इतिहास बना सकती हैं कमला हैरिस
वरिष्ठ अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने ‘सीएनएन’ से कहा, ‘यह हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है।’उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप अमेरिका के आधारभूत मूल्यों के लिए कैसे खतरनाक साबित हो सकते हैं। अगर हैरिस यह चुनाव जीत जाती हैं, तो वह अमेरिका की राष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला, पहली अश्वेत महिला और दक्षिण एशियाई मूल की पहली व्यक्ति बन जाएंगी। पिट्सबर्ग में अपनी रैली में ट्रंप ने फिर से जो बाइडन - कमला हैरिस प्रशासन पर तीखा हमला किया और कहा कि अमेरिकी लोगों को पिछले चार वर्षों में ‘जबरदस्त विफलता, विश्वासघात और अपमान’ का सामना करना पड़ा है।
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