EC on Disabilities: निर्वाचन आयोग ने दलों से 'दिव्‍यांगजनों' के साथ 'सम्मानजनक तरीके' से पेश आने को कहा

election commission on disabilities: निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के नेताओं और उम्मीदवारों से अपने सार्वजनिक भाषणों में दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है।

निर्वाचन आयोग ने दलों से दिव्यांगों के बारे में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा

लोकतंत्र की बुनियाद सही मायनों में चुनावी प्रक्रिया में सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व में निहित है। दिव्‍यांगजनों (PWD) की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग के लिए सुगम और समावेशी चुनाव, वह स्‍थायी सिद्धांत रहा है जिसके साथ निर्वाचन आयोग कोई समझौता नहीं करता। आयोग विभिन्न कदमों के माध्यम से चुनाव में सुगमता और समावेशिता के सिद्धांत को बढ़ावा देने के प्रति अत्‍यंत सजगता के साथ प्रयासरत है।

दिव्‍यांग समुदाय के प्रति राजनीतिक विमर्श में समावेशिता और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए आयोग ने राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों के लिए पहली बार दिशानिर्देशों जारी किए हैं। आयोग ने राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों से इन दिशानिर्देशों का अक्षरश: पालन करने का आग्रह किया है क्योंकि वे चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण हितधारक हैं।

हाल ही में, आयोग को राजनीतिक विमर्श में दिव्‍यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) के बारे में अपमानजनक या आक्रामक भाषा के उपयोग के बारे में अवगत कराया गया है। किसी भी राजनीतिक दल के सदस्यों या उनके उम्मीदवारों द्वारा भाषण/प्रचार-अभियान में इस तरह की भाषा का उपयोग दिव्यांगजनों के अपमान के रूप में समझा जा सकता है। समर्थवादी या एबलिस्‍ट भाषा के सामान्‍य उदाहरण – गूंगा, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला, अपाहिज आदि शब्द हैं। ऐसी अपमानजनक भाषा के उपयोग से बचना अत्‍यंत आवश्‍यक है। राजनीतिक विमर्श/अभियान में दिव्यांगजनों को आदर और सम्मान दिया जाना चाहिए।

End Of Feed