Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की चुनावी बॉन्ड योजना, जानिए फैसले की 6 अहम बातें

SC on Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था।

चुनावी बॉन्ड योजना पर केंद्र को झटका

Electoral Bonds Judgment: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और कहा कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की चुनावी बॉन्ड योजना, फैसले की 6 अहम बातें

  1. राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं। चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी आवश्यक है।
  2. चुनावी बॉन्ड योजना काले धन पर अंकुश लगाने वाली एकमात्र योजना नहीं है। अन्य विकल्प भी हैं।
  3. काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है।
  4. स्वैच्छिक राजनीतिक योगदान का खुलासा न करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है।
  5. लोकतंत्र में सूचना के अधिकार में राजनीतिक फंडिंग के स्रोत को जानने का अधिकार भी शामिल है।
  6. कॉरपोरेट्स द्वारा असीमित राजनीतिक फंडिंग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट: एसबीआई चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद करे

अदालत एसबीआई को चुनावी बॉन्ड जारी करना तुरंत बंद करने का निर्देश दिया है। एसबीआई को 6 मार्च तक ईसीआई को अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड पर पूरा डेटा जमा करना होगा, जिसमें खरीदारों के नाम, खरीद के मूल्यवर्ग और योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के नाम शामिल हैं। ये जानकारी भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर 31 मार्च तक प्रकाशित की जाएगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा सभी गैर-भुगतान किए गए चुनावी बॉन्ड खरीदारों को वापस कर दिए जाएं।

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