'न जाने कौन हमारे पार्टी कार्यालय में इलेक्टोरल बॉन्ड छोड़ गया', इलेक्टोरल बॉन्ड पर TMC की जेडी-यू जैसी दलील

Electoral bond : रिपोर्टों के मुताबिक 27 मई 2019 को चुनाव आयोग को दी गई अपनी जानकारी में टीएमसी ने कहा, 'चुनावी बॉन्ड के जरिए जो चंदा मिला, उनमें से ज्यादातर बॉन्ड को हमारे पार्टी कार्यालय भेजा गया या कार्यालय के बाहर लगे ड्राप बॉक्स में किसी ने छोड़ दिया।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर टीएमसी की अजीब सफाई।

Electoral bond : साल 2018-19 के इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जनता दल-यूनाइटेड और तृणमूल कांग्रेस ने अजीबो-गरीब सफाई दी है। दोनों पार्टियों की दलील है कि कोलकाता एवं पटना स्थित उनके पार्टी कार्यालय में कोई अनजाना व्यक्ति बंद लिफाफे में चुनावी बॉन्ड देकर चला गया। इसलिए चुनावी चंदा देने वालों के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, जेडीयू ने अप्रैल 2019 में मिले में 13 करोड़ रुपए के चुनावी चंदे में से तीन करोड़ का चंदा देने वाले डोनर्स की पहचान उजागर की है। 16 जुलाई 2018 और 22 मई 2019 के बीच टीएमसी को करीब इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 75 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा मिला लेकिन पार्टी ने इन डोनर्स की पहचान का खुलासा नहीं किया है।

डोनर की पहचान उसके पास नहीं-टीएमसी

रिपोर्टों के मुताबिक 27 मई 2019 को चुनाव आयोग को दी गई अपनी जानकारी में टीएमसी ने कहा, 'चुनावी बॉन्ड के जरिए जो चंदा मिला, उनमें से ज्यादातर बॉन्ड को हमारे पार्टी कार्यालय भेजा गया या कार्यालय के बाहर लगे ड्राप बॉक्स में किसी ने छोड़ दिया। कुछ लोगों ने अलग-अलग व्यक्तियों के जरिए चुनावी बॉन्ड कार्यालय भिजवा दिया। चुनावी चंदा देने वाले ज्यादातर लोग अपनी पहचान गोपनीय रखना चाहते थे। इसलिए चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले और पार्टी को चंदा देने वालों के ब्योरे और उनके नाम उसके पास नहीं हैं।'

कोई पार्टी कार्यालय आया, सीलबंद लिफाफा दे गया-जेडीयू

इसी तरह की दलील जेडीयू ने भी दी है। जेडीयू ने कहा कि तीन अप्रैल 2019 को कोई व्यक्ति हमारे पार्टी कार्यालय आया और एक बंद लिफाफा सौंप गया। इस बंद लिफाफे को जब खोला गया तो उसमें एक-एक करोड़ रुपए के 10 इलेक्टोरल बॉन्ड मिले। इसे देखते हुए चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा देने वालों के बारे में हम किसी तरह की जानकारी देने की स्थिति में नहीं हैं। पार्टी ने कहा कि इसके बाद हमने यह जानने की कोशिश भी नहीं कि चंदा किसने दिया क्योंकि उस समय इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट को कोई आदेश नहीं था। चुनावी बॉन्ड पर उस समय केवल भारत सरकार की अधिसूचना ही सामने थी।

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