'मन की बात' में आपातकाल का जिक्र, जानें- इंदिरा गांधी ने क्यों लगाई थी इमरजेंसी

Emergency in India: 25 जून 1975 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था। उस समय जो लोग सड़कों पर उतरे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी। मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने उस दौर का खास तरह से जिक्र किया।

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25 जून 1975 को लगी थी इमरजेंसी

Emergency in India: मन की बात कार्यक्रम के 102वें एपिसोड में पीएम नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को भारतीय इतिहास का डॉर्क एरा बताया यानी काला युग बताया। उन्होंने कहा कि 1975 में भारत में उन लोगों पर जुल्म किए गए जो लोग लोकतंत्र के हिमायती थे। भारत लोकतंत्र की जननी है, हम 25 जून को भूल नहीं सकते। उस दिन भारत में आपातकाल घोषित किया गया था। लेकिन आपातकाल की करोड़ों लोगों ने पूरी शक्ति के साथ विरोघ किया। जो लोकतंत्र के प्रहरी थे उन पर अनगिनत अत्याचार किए गए। दिल और दिमाग उन दिनों को याद कर आज भी सिहर जाते हैं। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। लेकिन उन अपराधों के बारे में सोचना चाहिए। उसके जरिए ही हम लोकतंत्र की ताकत को समझ सकते हैं।

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आंतरिक गड़बड़ी का दिया था हवाला

उन्होंने उस आदेश को लागू करने के कारण के रूप में आंतरिक गड़बड़ी का हवाला दिया जिसने चुनावों को रद्द कर दिया और प्रधान मंत्री को अभूतपूर्व शक्तियां हासिल हुईं। इंदिरा गांधी सरकार ने यह भी तर्क दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ऐसे खतरे हैं जिनके लिए ऐसे सख्त उपायों की आवश्यकता है।उस समय पाकिस्तान के साथ युद्ध हाल ही में समाप्त हो गया था जिसके कारण अर्थव्यवस्था को विरोध और हड़ताल का सामना करना पड़ा था। सरकार ने कहा कि इसने देश को काफी हद तक चोट पहुंचाई है।ऐसा माना जाता है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 1975 के फैसले के बाद आपातकाल लगाया गया था जिसने गांधी को चुनावी कदाचार का दोषी ठहराया और उन्हें संसद से अयोग्य घोषित कर दिया और कहा कि वह अगले 6 वर्षों तक किसी भी निर्वाचित पद पर नहीं रह पाएंगी। इस फैसले के तुरंत बाद उन्होंने आपातकाल की घोषणा कर दी थी।

आपातकाल के दौरान क्या हुआ

आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के अलावा, ट्रेड यूनियनों पर भी कार्रवाई की गई थी। सरकार ने कथित तौर पर ट्रेड यूनियन गतिविधि, श्रमिकों द्वारा हड़तालों पर प्रतिबंध लगा दिया और बोनस के लिए कोई गुंजाइश नहीं होने के साथ निश्चित मजदूरी लागू की। इसका विरोध करने वाले मजदूरों को सख्त दमन का सामना करना पड़ा। इस अवधि का एक अन्य विवादास्पद पहलू संजय गांधी का देश भर में बड़े पैमाने पर नसबंदी कार्यक्रम और शहरों के सौंदर्यीकरण के लिए झुग्गियों का विध्वंस था, जिसमें झुग्गीवासियों को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी।आपातकाल 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ जिसके पहले इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1977 को नए सिरे से चुनाव कराने का आह्वान किया था। उन्होंने कई विपक्षी नेताओं को जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया था।

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ललित राय author

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