चीन अब अपने सैनिकों को इस इलाके में बेहतर ढंग से लड़ने की ट्रेनिंग देने में जुटा है
Galvan and Tawang: चीन ने फरवरी के आखिरी सप्ताह से शुरू कर एक लंबा युद्धाभ्यास पूरा किया है। इस युद्धाभ्यास की खासियत है कॉन्बैट मोबिलाइजेशन ड्रिल यानी युद्ध की शुरुआत में किस तरह से अपने हजारों सैनिकों हथियारों इक्विपमेंट और गाड़ियों को कम से कम वक्त में एलएसी पर डेप्लाई किया जाए उसके लिए चीन लगातार एक्सरसाइज कर रहा है। खुफिया एजेंसी से मिली जानकारी के मुताबिक चीन ने पिछले एक साल में आधा दर्जन से ज्यादा मोबिलाइजेशन स्ट्रैटेजिक कैपेबिलिटी और सपोर्ट की ड्रिल्स की हैं।
2020 में जून के महीने में गलवान में हुए संघर्ष के बाद पहली बार चीन ने लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने 50,000 से ज्यादा सैनिक, भारी-भरकम हथियार और एस्टेब्लिशमेंट्स को डेप्लाई किया, क्योंकि इस संघर्ष में चीन को भारत के हाथों मजबूत जवाब मिला था। भारत ने अपने 20 वीर जवानों को खोया लेकिन चीन को 40 से ज्यादा सैनिकों को खोकर दोगुनी कीमत चुकानी पड़ी थी। इसी का नतीजा है कि चीन अब अपने सैनिकों को इस इलाके में बेहतर ढंग से लड़ने की ट्रेनिंग देने में जुटा है।
अपनी कॉम्बैट मोबिलाइजेशन क्षमता को परखना शुरू कर दिया है
भारत के सैनिक कई दशकों से इस तरह के मौसम उंचाई और परिस्थितियों में पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात रहे हैं। गलवान संघर्ष के बाद भारत ने भी अपनी सैन्य बलों को रिस्ट्रक्चर कर इस इलाके में अपने हर तरह के आधुनिक हथियार लगा दिए हैं जिनमें के 9 से लेकर अत्याधुनिक रडार सिस्टम, एयर एलिमेंट्स और 50,000 से ज्यादा सैनिक शामिल हैं। चीन ने इस इलाके में अपने सबसे बड़े बेस गोलमुड से लेकर एलएसी तक हाई स्पीड रेल, रोड नेटवर्क, सैकड़ों ट्रांसिट हाल्ट्स पर अपनी कॉम्बैट मोबिलाइजेशन क्षमता को परखना शुरू कर दिया है।
चॉकलेट सोल्जर भारतीय सेना के सामने ज्यादा देर नहीं टिक सकते
इससे साफ पता चलता है कि दिसंबर 2022 में तवांग में भारतीय सैनिकों के हाथों खदेड़े जाने के बाद चीन को पता चल चुका है कि उसके चॉकलेट सोल्जर भारतीय सेना के सामने ज्यादा देर नहीं टिक सकते। उसने अपने सैनिकों को एलएसी पर अतिरिक्त अभ्यास कराना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक 2020 से पहले भी चीन इस तरह के अभ्यास करता था लेकिन उनकी संख्या साल में एक या दो हुआ करती थी लेकिन अब चीन ने इस संख्या को बढ़ाकर 6 से 7 कर दिया है। एलएसी से लगे इस पूरे इलाके में चीन ने नई सड़कों का जाल भी बुना है और अपने दूर के बेसिस को एलएसी के नजदीक पुनर्स्थापित किया है ताकि कम वक्त में ट्रूप्स को मोब्लाइज किया जा सके।
भारत और चीन के बीच 18वें दौर की कमांडर लेवल वार्ता होने वाली है
पिछले 17 दौर के बाद ज्यादातर जगहों से डिसएंगेजमेंट हो चुका है लेकिन फिर भी चीन लगातार अपनी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में लगा है। चाहे वह कोल्ड वेपंस की खरीद हो या फिर इस तरह के युद्धाभ्यास में बढ़ोतरी, इससे चीन की मंशा का साफ पता चलता है। भारतीय सेना इन इनपुट्स के आधार पर लगातार चीन पर नजर बनाए हुए है। चीन की इस पैंतरेबाजी के मुताबिक अपनी तैयारी को भी पूरा कर रही है।