हर जज पर डाला जाता है प्रेशर, फैसले भी प्रभावित करने के प्रयास से होता है सामना- बोले जस्टिस कौल
उनके मुताबिक, न्यायाधीशों के व्यवस्था को बदलने न देने संबंधी धारणा से एनजेएसी को रद्द किए जाने के बाद कॉलेजियम के कामकाज में बाधा पैदा हुई है। यह कहना ठीक नहीं होगा कि कॉलेजियम सुचारू रूप से काम करता है।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय किशन कौल। (फाइल)
तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा है कि हर जज को दबाव या फिर फैसलों को प्रभावित करने के प्रयास का सामना करना पड़ता है। ऐसी चीजों को शुरुआत में ही खत्म कर दिया जाना चाहिए।
शुक्रवार (29 दिसंबर, 2023) को उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को कभी काम करने का मौका नहीं दिया गया। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने के संसद के सर्वसम्मत फैसले को रद्द किए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में नाराजगी दिखी।
उनके मुताबिक, न्यायाधीशों के व्यवस्था को बदलने न देने संबंधी धारणा से एनजेएसी को रद्द किए जाने के बाद कॉलेजियम के कामकाज में बाधा पैदा हुई है। यह कहना ठीक नहीं होगा कि कॉलेजियम सुचारू रूप से काम करता है।
बकौल जस्टिस कौल, "समलैंगिक विवाह का मुद्दा पूरी तरह से कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक है। सरकार इसके लिए कानून ला सकती है।" वह आगे बोले- सेवानिवृत्ति के बाद नई जिम्मेदारी संभालने का मुद्दा न्यायाधीशों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
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