UCC: राज्यसभा की पूरी गणित समझिए, जानें AAP की भूमिका क्यों है अहम
समान नागरिक संहिता पर अगर केंद्र सरकार एक और कदम आगे बढ़ती है तो उसे बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित कराना होगा। लोकसभा में गणित तो मोदी सरकार के पक्ष में है। लेकिन राज्यसभा में किस तरह की तस्वीर बनेगी उसे समझने की जरूरत है।
यूसीसी पर जानें क्या है राज्यसभा की गणित
UCC: समान नागरिक संहिता पर लॉ कमीशन के सुझाव के बीच मध्य प्रदेश की एक सभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट तौर पर जिक्र किया। उनके जिक्र करने के बाद सियासत भी गरम है। कांग्रेस, आरजेडी, डीएमके और एआईएमआईएम खुल कर विरोध में हैं तो आप सैद्धांतिक तौर पर समर्थन करती नजर आ रही है जिसका जिक्र राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने भी किया। वहीं शिवसेना और एनसीपी ने समर्थन के संकेत दिए हैं। अगर समान नागरिक संहिता पर सुझाए गए बिंदुओं को शामिल कर लॉ कमीशन ने हरी झंडी दिखा दी तो बिल के रूप में संसद के दोनों सदनों में किया जाएगा। यहां पर हम समझने की कोशिश करेंगे कि सदन में यूसीसी पर हरी झंडी मिलने में सरकार के लिए किस तरह की चुनौती होगी या बिल आसानी से पारित हो जाएगा। लोकसभा में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत है, यहां पर सवाल राज्य सभा का है। क्या राज्यसभा से बिल पारित कराने में मोदी सरकार कामयाब होगी। आप के वरिष्ठ नेता संदीप पाठक ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर तो पार्टी सहमत है। लेकिन अच्छा होगा कि इस विषय पर सर्वसम्मति से फैसला लिया जाए।
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राज्यसभा की गणित
राज्यसभा में इस समय कुल 237 सांसद हैं और 8 सीटें खाली है। इन खाली सीटों में 2 सीटें मनोनीत सदस्यों की है। इस तरह से 237 के आंकड़े के मुताबिक बहुमत हासिल करने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत होगी। बीजेपी के पास इस समय कुल 92 राज्यसभा सांसद, एआईएडीएमके के पास 4 सांसद और सात छोटे छोटे दलों के एक एक सांसद हैं। इस तरह से बीजेपी को मौजूदा समय में 103 सदस्यों का समर्थन हासिल है। इस संख्या में एक निर्दलीय, पांच मनोनीत सदस्य को जोड़ दें तो भी बीजेपी अल्पमत में है। अगर नवीन पटनायक की बीजू जनता दल भी बीजेपी के समर्थन में आए उस हालात में भी 119 का आंकड़ा जुटाना मुश्किल होगा। यहां पर बता दें कि वाईएसआरसीपी ने साफ कर दिया है कि वो यूसीसी पर केंद्र का समर्थन नहीं करने जा रहे हैं।
अब बात करते हैं AAP की
आप के 10 सांसदों में से तीन दिल्ली से और सात पंजाब से हैं। समान नागरिक संहिता पर AAP का रुख कांग्रेस के साथ टकराव के बीच है। विपक्षी दल 2024 के लिए एकजुट हो रहे हैं। लेकिन यूसीसी पर जिस तरह से केंद्र सरकार ने आगे बढ़ने का इशारा दिया है उसके बाद आप के परोक्ष या प्रत्यक्ष समर्थन से बीजेपी की राह आसान हो सकती है। अध्यादेश के मुद्दे पर आप को समर्थन के बारे में कांग्रेस ने फैसला नहीं किया है जिसे लेकर अरविंद केजरीवाल असहज हैं। आप को कहना पड़ा कि कांग्रेस वाले किसी भी गठबंधन में शामिल होना बहुत मुश्किल है। ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या आप उस कानून का समर्थन करेगी जो बीजेपी का पसंदीदा एजेंडा है?
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