सुषमा स्वराज के बारे माइक पोंपियो की धारणा विदेश मंत्री एस जयशंकर को नहीं आई रास, बोले- अनुचित
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने अपनी किताब में लिखा है कि भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज में उन्हें कुछ खास नजर नहीं आया। उनकी इस समझ पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशकंर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अनुचित बात जिसकी वो निंदा करते हैं।
डॉ एस जयशंकर, विदेश मंत्री
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने एक किताब लिखी है जिसका नाम 'Never Give an Inch: Fighting for the America I Love' है। इसमें उन्होंने भारत- पाकिस्तान के रिश्तों के साथ साथ भारतीय राजनेताओं पर भी टिप्पणी की है। अपनी किताब में उन्होंने अपने समकक्ष रहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बारे में टिप्पणी की है। वो लिखते हैं कि उन्होंने सुषमा स्वराज को कभी महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्सियत के तौर पर नहीं देखा। हालांकि उनका रिश्ता विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से बेहतर रहा। बता दें कि माइक पोंपियो ने भारत के दो विदेश मंत्रियों के साथ अपने कार्यकाल को साझा किया था। 2014 से 2019 के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं। जबकि 2019 में वो डॉ एस जयशंकर जब विदेश मंत्री बने तो कुछ समय के लिए माइक पोंपियो अमेरिका के विदेश मंत्री थे।
डॉ एस जयशंकर ने की टिप्पणी
पोंपियो के दावों पर टिप्पणी करते हुए श्री जयशंकर ने पीटीआई से कहा कि उन्होंने पोंपियो की किताब में श्रीमती सुषमा स्वराज जी का जिक्र करते हुए एक अंश देखा है। उन्होंने सुषमा जी बहुत सम्मान दिया और उनके साथ असाधारण रूप से घनिष्ठ और मधुर संबंध थे। वो अपमानजनक बोलचाल की निंदा करते हैं। पोम्पिओ ने अपनी किताब में यह भी कहा है कि भारत की अमेरिकी उपेक्षा दशकों पुरानी द्विदलीय व्यवस्था की नाकामी थी।
अजीत डोभाल से थी बेहतर ट्यूनिंग
माइक पोंपियो ने कहा कि उनके रिश्ते या ट्यूनिंग एनएसए अजीत डोभाल से अधिक थी। इसके अलावा डॉ एस जयशंकर जब विदेश सचिव के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे तो अधिकतर संवाद उनके साथ ही स्थापित हुआ था। बता दें कि माइक पोंपियो 2017 से 2018 तक सीआईए के निदेशक रहे और 2018 से 2021 तक विदेश मंत्री रहे। पोंपियो लिखते हैं कि उनके दूसरे समकक्ष विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर थे। 2019 में जब एस जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया गया तो उन्होंने स्वागत किया। वो इस शख्स को प्यार करते हैं। सात भाषाओं में से एक इंग्लिश भी वो बोलते हैं। उन्हें लगता है कि वो उनसे ज्यादा बेहतर रहे। माइक पोंपियो के बारे में बताया जा रहा है कि वो 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं।
भारत और अमेरिका स्वाभाविक सहयोगी
माइक पोंपियो अपनी किताब में लिखते हैं कि हम स्वाभाविक सहयोगी हैं, क्योंकि हम लोकतंत्र के इतिहास, एक आम भाषा, और लोगों और प्रौद्योगिकी के संबंधों को साझा करते हैं। भारत अमेरिकी बौद्धिक संपदा और उत्पादों की भारी मांग वाला बाजार भी है। इन कारकों और दक्षिण एशिया में इसकी रणनीतिक स्थिति ने भारत को चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए उनकी कूटनीति का आधार बना।।
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