अगर तानाशाही तो मोदी चुनावों में क्यों करते हैं मेहनत ? चीन से निपटने में 2 ऐतिहासिक चैलेंज -जयशंकर
Times Now Summit 2022: विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने उन आरोपों पर, सवाल करते हुए कहा कि जो लोग भारत में लोकतांत्रित तानाशाही की बात करते हैं, उनसे यह पूछना चाहिए कि अगर सब कुछ फिक्स है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर चुनावों में इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं। उन्हें तो चुपचाप बैठ जाना चाहिए।
- 10 साल पहले कुछ लोगों के लिए विदेश नीति का मतलब था कि सुरक्षा के लिए सबसे अच्छी नीति है कि सीमा पर विकास ही नहीं करो।
- 1962 में चीन से हार और दोनों देशों की इकोनॉमी की रियल्टी ऐतिहासिक चुनौती है।
- भारत अपनी नीतियों की वजह से दुनिया को आकर्षक लग रहा है।
Times Now Summit 2022: भारत वो करता है जो उसके लिए अच्छा होता है। और यही हमारी विदेश नीति है। हम इस आधार पर फैसले नहीं लेते हैं कि दूसरा किसे अच्छा और बुरा मानते हैं। यही नहीं दुनिया को यह आज पता है कि भारत के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा लीडर है जो सख्त फैसले ले सकता है। जहां तक चीन की बात है तो 2020 के बाद से सीमा पर सैनिकों के जमावड़े से यह समझा जा सकता है, भारत उसके साथ कैसे निपट रहा है। यह बातें विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने शुक्रवार को टाइम्स नाउ समिट 2022 में टाइम्स नाउ के एडिटर इन चीफ एंड एडिटोरियल डाइरेक्टर राहुल शिवशंकर से बातचीत में कही है। विदेश मंत्री ने चीन के साथ भारत की चुनौतियों और उससे कैसे निपटा जाय इसको लेकर भी बात की।
भारत में लोकतांत्रिक तानाशाही तो फिर मोदी क्यों करते हैं मेहनत
विदेश मंत्री उन आरोपों पर, सवाल करते हुए कहा कि जो लोग भारत में लोकतांत्रित तानाशाही की बात करते हैं, उनसे यह पूछना चाहिए कि अगर सब कुछ फिक्स है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर चुनावों में इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं। उन्हें तो चुपचाप बैठ जाना चाहिए। जयशंकर ने यह भी कहा कि जो लोग विदेश से आकर भारत में यह कहकर चले जाते हैं कि भारत में फ्रीडम नही है। लेकिन कई देश ऐसे हैं जहां पर अगर वह यह कह दे तो फिर क्या होगा ?
10 साल पहले जैसी नहीं है विदेश नीति
विदेश मंत्री ने कहा कि आज से 10 साल पहले कुछ लोगों के लिए विदेश नीति का मतलब था कि सुरक्षा के लिए सबसे अच्छी नीति है कि सीमा पर विकास ही नहीं करो। लेकिन अब ऐसा नहीं है, आप अपने सीमा पर विकास किए बिना कैसे रह सकते हैं ? अगर वास्तव में आपको विश्व शक्ति बनना है तो केवल बात ही नहीं ग्राउंड पर भी करना होगा। दूसरी बात हम अपनी सीमा पर विकास कर रहे हैं तो यह किसी के खिलाफ नहीं है। एक सवाल की जवाब में विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि हमारी विदेश नीति दूसरे के अनुसार नहीं चलती है। हम वह करते हैं जो भारत के लिए अच्छा है।
चीन से निपटने में 2 ऐतिहासिक चुनौती
चीन के साथ संबंधों पर विदेश मंत्री का कहना है कि उसे लेकर 2 वास्तविकता है। पहली बात यह है कि चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, दूसरी अहम बात है कि वह हमारा पड़ोसी है। ऐतिहासिक रूप से चीन के साथ भारत का सीमा विवाद है। इसके अलावा सुरक्षा परिषद से लेकरआतंकवादियों पर प्रतिबंध जैसे कई मुद्दों पर, वह हमरा समर्थन नहीं करते हैं। इसके अलावा उनके पाकिस्तान के साथ संबंध का असर भारत की सुरक्षा पर होता है।
साथ ही 1962 में चीन से हार और दोनों देशों की इकोनॉमी की रियल्टी ऐतिहासिक चुनौती है। जयशंकर ने कहा कि साल 1988 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए थे, तो उस समय भारत और चीन की इकोनॉमी एक बराबर थी। लेकिन आज वह हमसे इकोनॉमी में चार से साढ़े चार गुना ज्यादा बड़ी है। उस समय आर्थिक सुधारों की जो शुरूआत हुई, वह आधे-अधूरे तरीके से हुई।
दुनिया में संबंध बदल रहे हैं
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि आज की परिस्थितियां दुनिया के लिए चिंताजनक हैं, लोग डरे हुए हैं। लोग यह सोच रहे थे कि कोविड-19 के बाद स्थितियां बेहतर होंगी। लेकिन युद्ध और दूसरी चुनौतियों के वजह से परिस्थितियां बदली है। अभी उम्मीदें अलग हैं, आपसी संबंध भी बदल रहे हैं। दुनिया के कई देशों को यह भी अहसास हो रहा है कि एक देश में बहुत ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग बेस कंसंट्रेट हो गया है। भारत अपनी नीतियों की वजह से दुनिया को आकर्षक लग रहा है।
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