यह वो भारत नहीं है जो तिरंगे का अपमान सह लेगा- लंदन वाली घटना पर बोले जयशंकर, खालिस्तानियों को भी चेताया
पंजाब में वारिस पंजाब दे और उसके प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू होने के बाद, खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने यूके में भारतीय उच्चायोग में भारतीय ध्वज को नीचे खींच लिया था। जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। बाद में उससे भी बड़ा ध्वज वहां लगाया गया है।
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने खालिस्तानियों के साथ-साथ ब्रिटेन को भी कड़ा संदेश दिया है। एस जयशंकर ने लंदन में तिरंगे के अपमान को लेकर कहा कि यह वो भारत नहीं है जो तिरंगे का अपमान सह लेगा। यह आज के हिंदुस्तान में स्वीकार नहीं है।
क्या कहा विदेश मंत्री ने
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि यह ऐसा भारत नहीं है जो अपने राष्ट्रीय ध्वज को नीचे खींचे जाने को स्वीकार करेगा। "हमने लंदन, कनाडा, सैन फ्रांसिस्को में घटनाओं को देखा है, वहां एक बहुत छोटा अल्पसंख्यक है, उस अल्पसंख्यक के पीछे कई हित हैं। कुछ हित पड़ोसियों के हैं, सभी के आप जानते हैं कि कौन सा ... हम बहुत स्पष्ट हैं कि यह उस देश का दायित्व है जहां ये दूतावास हैं, जहां इन राजनयिकों को सुरक्षा प्रदान करनी है। आखिरकार, हम इतने सारे विदेशी दूतावासों के लिए सुरक्षा प्रदान करते हैं ... यदि वे सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं, तो भारत की ओर से प्रतिक्रिया होगी। यह वह भारत नहीं है जो अपने झंडे अपमान स्वीकार करेगा...।"
खालिस्तानियों को संदेश
आगे विदेश मंत्री ने कहा कि लंदन की घटना के बाद हमारे उच्चायुक्त ने सबसे पहला काम यह किया कि उन्होंने एक बड़ा झंडा मंगवाया और उसे वहीं इमारत के ऊपर लगा दिया। उन्होंने कहा- "यह न केवल उन तथाकथित खालिस्तानियों के लिए एक संदेश था, बल्कि यह अंग्रेजों के लिए भी एक संदेश था कि यह मेरा झंडा है और अगर कोई इसका अनादर करने की कोशिश करेगा तो मैं और भी बड़ा झंडा लगा दूंगा।"
जयशंकर के बयान के पीछे का अर्थ
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये बातें कर्नाटक में एक कार्यक्रम के दौरान कही है। दरअसल पंजाब में जब खालिस्तान समर्थक अमृतपाल और उसकी संस्था के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो दुनियाभर में मौजूद खालिस्तान समर्थक भड़क गए और भारत के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान लंदन में भारतीय उच्चायोग में लगे झंडे का अपमान किया गया था। जिस पर भारत ने तभी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। तब भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए ब्रिटेन के सबसे वरिष्ठ राजनयिक को तलब किया था। स्पष्टीकरण मांगी गई थी। अब विदेश मंत्री ने भी इस मामले पर सख्त रूख अपनाते हुए बयान दिया है।
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