मजबूत होगी वायु सेना: भारत में ही बनेंगे लड़ाकू विमानों के इंजन, अमेरिका ने जनरल इलेक्ट्रिक को दी मंजूरी

DRDO: अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने भारतीय कंपनी एचएएल के साथ मिलकर लड़ाकू विमान के इंजन बनाने की मंजूरी मांगी थी, जिसके लिए अमेरिकी सरकार ने हामी भर दी है।

fighter planes

भारत में बनेंगे लड़ाकू विमानों के इंजन

DRDO: आने वाले दिनों में भारतीय वायु सेना और भी ज्यादा मजबूत होगी, साथ ही वायु सेना के लड़ाकू विमान स्वदेशी इंजनों से लैस होंगे। इसके संकेत डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कामत ने दिए हैं। उन्होंने बताया कि भारत के रक्षा क्षेत्र को महत्वपूर्ण बढ़ावा देने के लिए एलसीए मार्क 2 और स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के पहले दो स्क्वाड्रन के इंजनों का घरेलू स्तर पर उत्पादन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एलसीए मार्क 2 के इंजन और स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के पहले दो स्क्वाड्रन का उत्पादन अमेरिकी जीई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा देश के भीतर एक साथ किया जाएगा। इसके लिए अमेरिका से सभी प्रकार की मंजूरियां मिल चुकी हैं। बता दें कि अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक और भारत की एचएएल संयुक्त रूप से इन इंजनों का उत्पादन करेंगे।

पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुआ था समझौता

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून में अमेरिका की यात्रा की थी। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेद्ध में विनिमर्माण को लेकर कई अहम समझौते हुए थे। इसमें लड़ाकू विमानों के इंजनों का भारत में निर्माण शामिल हैं। अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने भारतीय कंपनी एचएएल के साथ मिलकर लड़ाकू विमान के इंजन बनाने की मंजूरी मांगी थी, जिसके लिए अमेरिकी सरकार ने हामी भर दी है। डीआरडीओ चेयरमैन ने बताया कि 30 अगस्त को, सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने एलसीए मार्क 2 लड़ाकू विमान के विकास को मंजूरी दे दी, जो भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में मिराज 2000, जगुआर और मिग -29 लड़ाकू विमानों का प्रतिस्थापन होगा।

भारत में तैयार होंगे 99 इंजन

भारत ओर अमेरिका एक साथ मिलकर एफ-414 जेट इंजन का निर्माण करेगी। दोनों कंपनियां भारत में करीब 99 इंजन बनाएंगे। जानकारी के मुताबकि, डीआरडीओ GE-414 इंजन के साथ विमान विकसित करेगा, जो GE-404s का उन्नत संस्करण है जो सेवा में मौजूदा LCAs और 83 LCA मार्क 1As को शक्ति प्रदान करता है जो अगले कुछ वर्षों में IAF में शामिल होना शुरू हो जाएगा। वर्तमान में, 30 एलसीए भारतीय वायुसेना की सेवा में हैं और दो का उपयोग मार्क 1ए को विकसित करने के लिए एचएएल द्वारा किया जा रहा है।
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