राहुल गांधी के खिलाफ BNS की इन धाराओं में दर्ज हुई FIR, जानिए कौन-सी हो सकती है सजा
FIR Filed Against Rahul Gandhi: संसद में धक्का मुक्की मामले में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। राहुल गांधी के खिलाफ इस मामले में FIR दर्ज हो गई है। आइए जानते है कि राहुल के खिलाफ किन धाराओं में दर्ज हुई है एफआईआर...
राहुल गांधी के खिलाफ BNS की कई धाराओं में दर्ज हुआ केस
FIR Filed Against Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज हो गई है। संसद में धक्का मुक्की के मामले में बीजेपी सांसदों की शिकायत पर दिल्ली के सांसद मार्ग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। संसद के अंदर दो बीजेपी सांसदों को चोट लगने के मामले में BNS की कई धाराओं में केस दर्ज हुआ है। अनुराग ठाकुर और बांसुरी स्वराज सहित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के तीन सांसदों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ पुलिस को एक शिकायत देकर, उन पर संसद में धक्का-मुक्की के दौरान शारीरिक हमला और उकसावे में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।
आइए जानते है कि राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है उनमें क्या क्या सजा का प्रावधान है...
धारा 115: स्वेच्छा से चोट पहुंचाना
अगर कोई व्यक्ति किसी को चोट पहुंचाने के लिए जान-बूझकर कोई काम करता है, तो उसे एक साल तक की जेल या 10000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
धारा 117: गंभीर चोट पहुंचाना
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 117 के तहत, स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने के अपराध में सजe का प्रावधान है। इस धारा के तहत, किसी व्यक्ति को स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने पर अधिकतम सात साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ ही, जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को उसकी जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर पांच या ज़्यादा लोगों के समूह ने गंभीर चोट पहुंचाई है, तो उस समूह के हर सदस्य पर गंभीर चोट पहुंचाने का दोष साबित होगा। गंभीर चोट के मामलों में, खास तौर पर स्थायी विकलांगता या समूह कार्रवाई में, अपराध गैर-जमानती है। कम गंभीर मामलों में, जमानत दी जा सकती है।
धारा 125: जीवन और व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 125 के तहत, किसी व्यक्ति की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को जान-बूझकर खतरे में डालने वाले कार्यों को अपराध माना जाता है। इस धारा के तहत, अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाने का खतरा पैदा करता है, तो उस पर मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। आरोपी को अधिकतम छह महीने की जेल हो सकती है या 5000 रुपये का जुर्माना हो सकता है या दोनों हो सकते हैं।
धारा 131: आपराधिक बल का प्रयोग
बीएनएस धारा 131 के तहत, किसी व्यक्ति पर गंभीर और अचानक उकसावे के अलावा हमला करने या आपराधिक बल का इस्तेमाल करने पर सजा का प्रावधान है।
- बिना वजह किसी को जोर से धक्का देना
- किसी व्यक्ति को लात मारना या उसके शरीर पर हमला करना
- किसी के साथ हाथापाई करना, जैसे घूंसा मारना
- किसी को मजबूती से पकड़ना और उसे कहीं आने-जाने से रोकना
- किसी को डराने या धमकाने के लिए शारीरिक बल का इस्तेमाल करना
- झगड़े के दौरान किसी शख्स को कोई वस्तु फेंकना या मारना
- बिना उसकी अनुमति के किसी का हाथ पकड़कर रखना
इस धारा के तहत, अपराध करने पर तीन महीने तक की जेल हो सकती है या एक हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है या दोनों हो सकते हैं।
धारा 351: आपराधिक धमकी
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 351, आपराधिक धमकी से जुड़ी है। इस धारा के तहत, किसी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति को धमकाने पर सजा हो सकती है। धमकी देने से भय या डर पैदा होना चाहिए। धमकी देने से किसी व्यक्ति के जीवन, संपत्ति, या प्रतिष्ठा को खतरा हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के सम्मान को नुकसान पहुंचाने या कोई काम करने के लिए मजबूर करने की धमकी देता है, तो उसे दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
धारा 3(5): सामान्य उद्देश्य से काम करना
बीएनएस की धारा 3(5) में भी इसी तरह के सिद्धांत शामिल हैं: जब कोई आपराधिक कृत्य सभी के सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, तो ऐसे प्रत्येक व्यक्ति उस कृत्य के लिए उसी तरह उत्तरदायी होता है जैसे कि वह अकेले उसके द्वारा किया गया हो।
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शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें
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