Monkeypox: भारत में मिला पहला मंकीपॉक्स मरीज, रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही स्वास्थ्य विभाग अलर्ट; जानें कोरोना से कितना अलग?

Monkeypox: भारत में पहले मंकीपॉक्स पॉजिटिव मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। मरीज को संदिग्ध मानकर मंकी पॉक्स समर्पित हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

Monkeypox: भारत में पहले मंकीपॉक्स पॉजिटिव मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। मरीज को संदिग्ध मानकर मंकी पॉक्स समर्पित हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 8 सितंबर को संदिग्ध व्यक्ति के बारे में बताया था कि वह हाल ही में विदेश से वापस लौटकर आया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मंकीपॉक्स वायरस (एमपीएक्सवी) के महामारी का रूप लेने की संभावना बहुत कम है। एम्स नई दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने आईएएनएस को बताया, "घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मानता हूं कि मृत्यु दर अब भी अधिक है, लेकिन संक्रमण केवल करीबी संपर्कों के मामलों में ही संभव है। बिना सीधे संपर्क के संक्रमण होने की संभावना काफी कम है, इसलिए मंकीपॉक्स के व्यापक महामारी बनने की संभावना न्यूनतम है।

वायरल बीमारी एमपॉक्स

एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है। इसमें बुखार के साथ शरीर पर दाने निकलने लगते हैं। इसके संक्रमण के बाद लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है या उनका आकार बढ़ जाता है। लिम्फ नोड शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा हैं। साल्वे ने कहा कि यह अपने-आप ठीक होने वाली बीमारी है और मरीज चार सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। भारत में एमपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आया है, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। यह अफ्रीका के लगभग 13 देशों में फैल चुका है, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा है। यह प्रकोप मुख्य रूप से एक अधिक घातक स्ट्रेन क्लेड 1बी के कारण होता है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भारत में संदिग्ध मरीज एमपॉक्स के अधिक घातक स्ट्रेन से जुड़ा है या नहीं।

एचआईवी ही नहीं इसका कारण

जाने-माने एचआईवी विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने बताया कि सरकार द्वारा एमपॉक्स के पहले मरीज मामले की घोषणा के साथ ही हर कोई चिंतित है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। चूंकि संक्रमण केवल यौन संबंध या किसी आंतरिक शारीरिक संपर्क के माध्यम से फैल रहा है, इसलिए यह कोविड-19 जैसी बड़ी समस्या नहीं बनेगा। हालांकि, उन्होंने चिकित्सा समुदाय को एमपॉक्स के प्रबंधन, निदान और पता लगाने के लिए शिक्षित और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही प्रयोगशालाओं की संख्या और उनके कार्यभार की प्रभावशीलता बढ़ाने पर भी जोर दिया। यूनिसन मेडिकेयर एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई में एचआईवी/एसटीडी के सलाहकार डॉ. गिलाडा ने एमपॉक्स वैक्सीन का निर्माण शुरू करने का आग्रह किया, जिससे न केवल भारत को बल्कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों को भी मदद मिल सकती है।
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