पहले स्पीकर और अब राष्ट्रपति मुर्मू, आपातकाल को बताया संविधान पर सबसे बड़ा हमला...संसद में संग्राम की स्क्रिप्ट तैयार?
पहले स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा में आपातकाल का जिक्र कर कांग्रेस को असहज किया। संविधान की रक्षा के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने। इसी मुद्दे पर संसद में हंगामे के पूरे आसार हैं।

आपातकाल का मुद्दा गर्माया
President Murmu Comment On Emergency: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में 1975 में लागू आपातकाल को संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय बताते हुए कहा कि ऐसे अनेक हमलों के बावजूद देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त करके दिखाई। राष्ट्रपति मुर्मू ने 18वीं लोकसभा में पहली बार दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान, बीते दशकों में हर चुनौती, हर कसौटी पर खरा उतरा है और जब संविधान बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं, जो भारत के असफल होने की कामना कर रही थीं।
पूरे देश में हाहाकार मच गया था...
राष्ट्रपति ने अपने 55 मिनट के अभिभाषण में कहा कि देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए। उन्होंने कहा, आज 27 जून है। 25 जून, 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था। मुर्मू ने कहा कि लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त करके दिखाई, क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं।
उन्होंने कहा कि मेरी सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है, जहां (पहले) अनुच्छेद 370 की वजह से स्थितियां कुछ और थीं।
पीएम मोदी ने की थी मिलकर काम करने की अपील
संसद की शुरुआत में ही पीएम मोदी ने विपक्ष से मिलकर काम करने की अपील की थी। इसे लेकर शुरुआत में कांग्रेस सांसद व नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी नरमी के संकेत दिए थे। स्पीकर चुनाव के दौरान उन्होंने पीएम मोदी की बात का जिक्र भी किया था। हालांकि, स्पीकर पद पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई। सरकार की अपील के बावजूद कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष ने अपना उम्मीदवार उतारा, जिसे हार मिली। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान संसद में अमूमन शांति ही बनी रही। खास बात है कि विपक्ष का हर सदस्य अपने साथ संविधान की प्रति लेकर संसद पहुंचा था और संविधान की रक्षा का मुद्दा उठाया। चुनाव के दौरान इस मुद्दे ने विपक्ष को जमकर फायदा पहुंचाया था। लेकिन सरकार भी अपनी रणनीति के साथ तैयार दिख रही थी।
पहले स्पीकर ने किया आपातकाल का जिक्र
पहले स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा में आपातकाल का जिक्र कर कांग्रेस को असहज किया। स्पीकर पद संभालते ही ओम बिरला ने आपातकाल और इंदिरा गांधी का जिक्र किया जिससे सदन में हंगामा मच गया। कांग्रेस सांसदों ने इसे लेकर लोकसभा में जमकर हंगामा किया। विपक्ष के विरोध के बीच उन्होंने सदन में आपातकाल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल में नागरिकों के अधिकारों का हनन हुआ था। 1975 में देश पर आपातकाल थोपा गया था। आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया और संविधान पर हमला किया। स्पीकर के भाषण से कांग्रेस परेशान होना स्वभाविक था।
अब संसद में हंगामे के पूरे आसार अब राष्ट्रपति मुर्मू ने भी अपने अभिभाषण में आपातकाल को संविधान पर सबसे बड़ा हमला और काला अध्याय बताकर कांग्रेस को असहज कर दिया है। संविधान की रक्षा के मुद्दे पर ही राहुल गांधी और विपक्ष लगातार भाजपा और एनडीए सरकार पर हमलावर हैं। आपातकाल का बार-बार जिक्र आना कांग्रेस के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। ऐसे में अब आगामी बजट सत्र में इसी मुद्दे पर संसद में रार मचने के पूरे आसार हैं। संसद में कुछ दिनों की शांति के बाद 2023 जैसे हंगामे के आसार पैदा होते दिख रहे हैं। इस बार राहुल न पूरी तरह से कांग्रेस और विपक्ष की कमान संभाली है। जीत के जोश ने उनमें दोगुना उत्साह पैदा कर दिया है। इस बार विपक्ष पहले के मुकाबले अधिक ताकतवर और एकजुट है। संविधान का मुद्दा जोर पकड़ा चुका है। ऐसे में संसद में रार मचना तय दिख रहा है।
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