लूना-25 से सबक: चंद्रयान-3 के सामने ये 5 बड़ी चुनौतियां, अगर पार कर ली बाधा तो चांद पर लहराएगा तिरंगा

Chandrayaan-3: रूस का लूना-25 चांद की सतह से टकराकर यह क्रैश हो गया। इस खबर के साथ ही भारत के लोगों की धड़कनें भी बढ़ गई हैं। लूना-25 से सबक लेते हुए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो चंद्रयान-3 की चांद पर सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। ऐसे में आइए जानते हैं चंद्रयान-3 के सामने अब पांच बड़ी चुनौतियां क्या हैं...

चंद्रयान-3 के सामने बड़ी चुनौतियां

Chandrayaan-3: भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 इतिहास रचने से बस चंद कदम दूर है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के अंतिम चरणों में है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो 23 अगस्त को 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर तिरंगा लहराएगा और ऐसा करने वाला भारत दुनिया में चौथा देश बन जाएगा। हालांकि, चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग से पहले रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक दुखद खबर सुनाई है।

रूस का चंद्र मिशन फेल हो गया है। इसके साथ ही चांद पर फिर से पहुंचने का रूस का सपना भी टूट गया। लूना-25 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 21-22 अगस्त को लैंडिंग करनी थी। हालांकि, यह चांद की सतह से टकराकर यह क्रैश हो गया। इस खबर के साथ ही भारत के लोगों की धड़कनें भी बढ़ गई हैं। लूना-25 से सबक लेते हुए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो चंद्रयान-3 की चांद पर सुरक्षित लैंडिंग कराने के लिए एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। ऐसे में आइए जानते हैं चंद्रयान-3 के सामने अब पांच बड़ी चुनौतियां क्या हैं...

1. 100 किलोमीटर ऊंचाई पर वायुमंडल की कमी

चंद्रमा पर वायुमंडल की कमी का मतलब है कि पैराशूट जैसे पारंपरिक तरीके से लैंडर की गति को धीमा नहीं किया जा सकता है। ऐसे में चंद्रयान की गति को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है। 100 किमी प्रति घंटे की गति को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह से थ्रस्टर्स पर निर्भर रहना पड़ता है। किसी भी गलत अनुमान से असफल लैंडिंग हो सकती है, जैसा कि लूना-25 के साथ देखा गया है।

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