जबरन धर्मांतरण गंभीर केस, मजहब की आजादी पर डालता है असर, केंद्र को उठाने होंगे कदम- SC ने कहा

Supreme Court on Forcefully Religious Conversion: अदालत ने कहा- केंद्र 22 नवंबर, 2022 तक इस बाबत हलफनामा दाखिल करे, जबकि अगली सुनवाई 28 नवंबर, 2022 को होगी।

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तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Supreme Court on Forcefully Religious Conversion: जबरन धर्मांतरण के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने ‘बहुत गंभीर’ करार दिया है। कोर्ट ने दो टूक कहा कि यह गंभीर केस है और मजहब की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। ऐसे में केंद्र को इसके लिए कदम उठाने होंगे। अदालत की यह टिप्पणी सोमवार (14 नवंबर, 2022) को आईं।

कोर्ट ने चेताया कि अगर जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो एक ‘‘बहुत मुश्किल स्थिति’’ पैदा हो जाएगी। जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताए।

बेंच ने कहा, ‘‘यह एक बहुत ही गंभीर मामला है। केंद्र की तरफ से जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। अन्यथा बहुत मुश्किल स्थिति सामने आएगी। हमें बताएं कि आप क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखते हैं... आपको हस्तक्षेप करना होगा।’’

अदालत ने आगे बताया, ‘‘यह बेहद गंभीर मुद्दा है, जो राष्ट्र की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। इसलिए, बेहतर होगा कि केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट करे और इस तरह के जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर जवाबी हलफनामा दाखिल करे।’’

दरअसल, टॉप कोर्ट अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्र और राज्यों को ‘‘डरा-धमकाकर, प्रलोभन देकर और पैसे का लालच देकर’’ धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

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अभिषेक गुप्ता author

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