पत्नी, पति को कायर कहती है और माता-पिता से अलग होने के लिए मजबूर करती है तो ये क्रूरता है-कलकत्ता हाईकोर्ट

जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने कहा कि भारतीय परिवार में बेटे की शादी के बाद भी अपने माता-पिता के साथ रहना आम बात है और अगर उसकी पत्नी उसे उसके माता-पिता से अलग करने का कोई प्रयास करती है, तो उसका कारण कुछ न्यायसंगत होना चाहिए।

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तलाक के मामले पर कलकता हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी (प्रतीकात्मक फोटो- Pixabay)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल
कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने तलाक के एक मामले पर सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि पति को अपने माता-पिता से अलग होने के लिए मजबूर करना क्रूरता है। पत्नी इसके लिए पति को मजबूर नहीं कर सकती है।
क्या कहा कोर्ट ने
बार एंड बेंच के अनुसार कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि एक पति को अपनी पत्नी से मिल रही मानसिक क्रूरता के लिए तलाक दिया जा सकता है। जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने कहा कि भारतीय परिवार में बेटे की शादी के बाद भी अपने माता-पिता के साथ रहना आम बात है और अगर उसकी पत्नी उसे उसके माता-पिता से अलग करने का कोई प्रयास करती है, तो उसका कारण कुछ न्यायसंगत होना चाहिए। कोर्ट ने कहा- "भारतीय संस्कृति अपने माता-पिता के भरण-पोषण के लिए पुत्र के पवित्र दायित्व की अवधारणा को पोषित करती है। यदि कोई पत्नी पुत्र को समाज की सामान्य प्रथा और सामान्य रीति से हटाने का प्रयास करती है, तो उसके पास उसके लिए कुछ उचित कारण होने चाहिए।"
पति ने छोड़ दिया था घर
इसी के आधार पर मौजूदा मामले में, पीठ ने कहा कि पत्नी के पास पति को उसके माता-पिता से अलग करने का कोई उचित कारण नहीं था। यह घरेलू मुद्दा पर अहंकार के टकराव का मामला था। जिसमें पति अपने शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन की खातिर अपने माता-पिता के घर से किराए के घर में चला गया था।
आदेश को चुनौती
यह पीठ मिदनापुर में फैमिली कोर्ट के 25 मई, 2009 के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पति को क्रूरता के आधार पर तलाक देने का आदेश दिया गया था। फैमिली कोर्ट ने 2 जुलाई, 2001 को जोड़े के विवाह को भंग कर दिया था। पति का तलाक के लिए तर्क था कि उसकी पत्नी ने उसे 'कायर और बेरोजगार' कहती है और उसे उसके माता-पिता से अलग करने के लिए छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती रहती है। हाईकोर्ट ने सारी दलीलों को सुनने के बाद पत्नी की याचिका खारिज कर दी।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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