महाराष्ट्र में झटके के बाद बीजेपी को याद आए एकनाथ खडसे, पहले बहू बनीं मंत्री, अब वापसी की तैयारी...यूं बदलेगा खेल
महाराष्ट्र के अनुभवी नेता खडसे वर्तमान में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (सपा) में हैं। उनके भाजपा में वापसी की खबरें हैं, अगर ऐसा हुआ तो पार्टी का आगामी चुनाव में बड़ी राहत मिलेगी।
क्या एकनाथ खडसे की होगी वापसी?
Eknath Khadse: लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को लगे तगड़े झटके के बाद अब पार्टी रणनीति बदलने में जुटी है। इसी के तहत पुराने कद्दावर नेता एकनाथ खडसे को पार्टी में वापस बुलाने की कवायद चल रही है और वापसी भी तय दिख रही है। इसी सिलसिले में पूर्व बीजेपी नेता एकनाथ खडसे ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उनके साथ नवनियुक्त केंद्रीय मंत्री और उनकी बहू रक्षा खडसे भी थीं।
खडसे की अमित शाह से मुलाकात
महाराष्ट्र के अनुभवी नेता खडसे वर्तमान में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (सपा) में हैं। हालांकि, उन्होंने पीटीआई को बताया कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी। उन्होंने कहा कि रक्षा खडसे को केंद्रीय खेल राज्य मंत्री बनाया गया है। इसलिए हम इसके लिए अमित शाह को धन्यवाद देने गए थे। उन्होंने कहा कि पांच मिनट की बैठक में राजनीति पर चर्चा नहीं हुई। भाजपा नेता रक्षा ने हाल ही में हुए चुनावों में रावेर लोकसभा सीट से तीसरी बार जीत हासिल की।
खडसे बोले, अभी इंतजार कीजिए
पिछले कुछ महीनों से भाजपा में उनके दोबारा प्रवेश के बारे में पूछे जाने पर एकनाथ खडसे ने कहा, अभी इंतजार करें। 2020 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने और राज्य विधान परिषद का सदस्य बनने से पहले वह चार दशकों से अधिक समय तक भाजपा से जुड़े रहे। लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने और मतभेदों को चलते वह भाजपा से अलग हो गए। इस बीच केंद्र में तीसरी बार एनडीए सरकार बनी तो उनकी बहू रक्षा खडसे को मंत्रिपद दिया गया। ये साफ संकेत था कि भाजपा दोबारा खडसे को पार्टी में शामिल करना चाहती है।
बहू रक्षा खडसे बनीं केंद्र में मंत्री
इस साल की शुरुआत में खडसे ने घोषणा की थी कि वह भाजपा में वापस जा रहे हैं, लेकिन अभी तक वह औपचारिक रूप से भगवा पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं। बहरहाल, बातचीत का सिलसिला जारी है और अमित शाह से उनकी मुलाकात इशारा कर रही है कि वह जल्द ही पुरानी पार्टी में वापसी करेंगे। साल 2020 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने और राज्य विधान परिषद का सदस्य बनने से पहले वह चार दशकों से अधिक समय तक भाजपा से जुड़े रहे थे। वहीं, उनकी बहू रक्षा खडसे ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र की रावेर लोकसभा सीट से तीसरी बार जीत हासिल की जिसके बाद उन्हें मंत्री बनाया गया।
खडसे का सफरनामा
जमीनी स्तर के राजनेता, कुशल प्रशासक और प्रखर वक्ता 71 वर्षीय खडसे जलगांव जिले के मुक्ताईनगर से आते हैं। यह उत्तर महाराष्ट्र में आता है और इसमें नासिक, अहमदनगर, जलगांव, धुले और नंदुरबार जिले शामिल हैं, जिसमें आठ लोकसभा सीटें हैं। यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है, हालांकि खडसे के जाने से इस क्षेत्र पर असर पड़ा है और भाजपा को नुकसान हुआ। देवेंद्र फडणवीस और उत्तर महाराष्ट्र के प्रभारी गिरीश महाजन के साथ मतभेदों के कारण खडसे ने अक्टूबर 2020 में भाजपा छोड़ दी और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल हो गए थे। अगर खडसे की वापसी होती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर महाराष्ट्र इलाके में बड़ा फायदा होगा।
छह बार मुक्ताईनगर सीट से विधायक रहे
खडसे 1990, 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में छह बार मुक्ताईनगर सीट से विधायक रहे थे। उनकी बहू रक्षा खडसे ने 2014, 2019 और फिर 2024 में रावेर की लोकसभा सीट जीती। जब भाजपा ने उन्हें रावेर से तीसरी बार भी चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया तो यह साफ हो गया था कि खड़से अपनी मूल पार्टी की ओर जा रहे हैं। हालांकि खडसे की बेटी रोहिणी खडसे एनसीपी (सपा) की महिला विंग की प्रमुख हैं। रोहिणी ने साफ किया कि वह पार्टी में ही रहेंगी। उन्होंने कहा कि मैं पवार साहब के साथ ही रहूंगी, लड़ूंगी और जीतूंगी।
सरकार में रहे नंबर 2
खडसे तब चर्चा में आए जब 1995 में डॉ. मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया था। वे नारायण राणे की सरकार में भी वित्त मंत्री रहे और इसी मंत्रालय का कार्यभार संभाला। नवंबर 2009 से अक्टूबर 2014 तक वह विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा सत्ता में आई। हालांकि, फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया और वह नंबर 2 पर बने रहे। उन्हें राजस्व, कृषि, राज्य उत्पाद शुल्क और अल्पसंख्यक और विकास एवं वक्फ जैसे महत्वपूर्ण विभागों सहित 10 विभाग दिए गए। सरकार में रहते हुए फडणवीस के साथ उनके संबंध खराब हो गए और कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 2019 में उन्हें मुक्ताईनगर से टिकट नहीं दिया गया।
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अमित कुमार मंडल author
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