बेटे के लिए इच्छामृत्यु मांग रहे मां-बाप को पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दी राहत, योगी सरकार को दिया ये आदेश
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने आखिरी कार्य दिवस पर बेटे के लिए इच्छामृत्यु मांग रहे माता-पिता को बड़ी राहत दी है। उन्होंने यूपी सरकार से मामले में हस्तक्षेप करने और इलाज की व्यवस्था करने को कहा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्य के अंतिम दिन कई अहम फैसले सुनाए।
सीजेआई के तौर पर कार्य करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्य के अंतिम दिन कई अहम फैसले सुनाए। उनके दखल के बाद 30 साल के युवक के मां-बाप को भी बड़ी राहत मिल गई। पिछले 13 साल से हरीश राणा वेजेटेटिव स्टेट में थे। मां-बाप अब बेटे का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे और इच्छामृत्यु की मांग कर रहे थे। सीजेआई रहते जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के दखल की वजह से मां-बाप को बड़ी राहत मिल गई है। बता दें, वेजेटेटिव स्टेट में होने का मतलब होता है कि कोई व्यक्ति जीवित अवस्था में तो है लेकिन अनुभव शून्य है। उसकी आंखें खुली होती हैं लेकिन वह कुछ भी अनुभव नहीं कर सकता। बेटे के इलाज का खर्च उठाते हुए मां-बाप परेशान हो गए थे। ऐसे में वे अपने बेटे के लिए पैसिव इच्छामृत्यु की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि आर्टिफिशियल लाइफ सपोर्ट हटा लिया जाए।
62 साल के अशोक राणा और उनकी पत्नी निर्मला देवी को बेटे के इलाज में काफी समस्या आ रही थी। 13 साल पहले उनका बेटा चौथी मंजिल से गिर गया था। इसके बाद उसके सिर में गंभीर चोट आई थी। आखिरी सुनवाई में सीजेआई चंद्रचूड़ ने केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट देखी और उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि सरकार युवक के इलाज की पूरी व्यवस्था करे। घर पर ही लाइफ सपोर्ट लगाया जाए और फिजियोथेरेपिस्ट और डायटीसियन रेग्युलर विजिट करें। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर डॉक्टर और नर्सिंग सपोर्ट भी दिया जाए।
ये भी पढ़ें: आखिर क्यों CJI डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे वकील होते हुए भी नहीं आते थे सुप्रीम कोर्ट, खुद चीफ जस्टिस ने बताया
राज्य सरकार मुफ्त में कराएं इलाज
सीजेआई रहते चंद्रचूड़ ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार मुफ्त में इलाज की सारी सुविधा उपलब्ध करवाए। अगर होम केयर ठीक ना लगे तो नोएडा के जिला अस्पताल में भर्ती कराकर सुविधाएं दी जाएं। अशोक राणा की तरफ से वकील मनीष ने जानकारी दी कि परिवार ने सरकारी इलाज की बात स्वीकार कर ली है और वह इच्छामृत्यु वाली याचिका वापस लेने को तैयार है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि राणा बिना लाइफ सपोर्ट के भी जीवित रह सकते हैं, ऐसे में उन्हें ऐक्टिव इच्छामृत्यु नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले का हवाला देते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा था कि कुछ मामलों में पैसिव इयुथेनेसिया की इजाजत दी जाती है लेकिन एक्टिव इच्छामृत्यु की इजाजत भारत में नहीं दी जा सकती। 2018 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कुछ मामलों में ही किसी मरीज को पैसिव इच्छामृत्यु की इजाजत दी जा सकती है। इसके लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया जा सकता है। बाकी सीधे तौर पर इच्छा मृत्यु की इजाजत नहीं होगी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें
Bihar: सांसद पर हमला, विवाद सुलझाना पड़ गया मंहगा; कई लोग हुए घायल
महाकुंभ भगदड़ को लेकर संजय राउत ने BJP पर साधा निशाना, योगी-मोदी सरकार सरकार को लेकर कह दी ये बात
दुष्कर्म मामले में कांग्रेस सांसद राकेश राठौर गिरफ्तार; प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच पकड़कर ले गई पुलिस
हमास ने एक और इजरायली सैनिक को किया रिहा, पांच थाई नागरिकों सहित कुल 8 बंधक होंगे मुक्त
'जितना प्रचार उतना इंतजाम नहीं, महाकुंभ की घटना के लिए केंद्र-राज्य दोनों सरकारें जिम्मेदार', भगदड़ पर अखिलेश का सवाल
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited