लोकसभा महासचिव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लक्षद्वीप के पूर्व सांसद मोहम्मद फैजल, जानें क्या है पूरा मामला
Lakshadweep MP Mohammad Faisal: मोहम्मद फैजल ने अपनी याचिका में कहा है कि लोकसभा अध्यक्ष और लोकसभा सचिवालय के महासचिव से कई बार मुलाकात के बाद भी वो नोटिफिकेशन वापस नहीं लिया गया, जिसमें उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई। इसकी वजह से वो संसद के बजट सत्र में भी शामिल नहीं हो पाए।

लक्षद्वीप के पूर्व सांसद मोहम्मद फैजल (फोटो- फेसबुक)
लोकसभा स्पीकर से मिलने के बावजूद वापस नहीं हुई सदस्यता
मोहम्मद फैजल ने अपनी याचिका में कहा है कि लोकसभा अध्यक्ष और लोकसभा सचिवालय के महासचिव से कई बार मुलाकात के बाद भी वो नोटिफिकेशन वापस नहीं लिया गया, जिसमें उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई। निचली अदालत के फैसले के बाद इसी साल 13 जनवरी को लोकसभा सचिवालय की तरफ से एक अधिसूचना जारी करके मोहम्मद फैजल की सदस्यता रद्द करने की जानकारी दी गई थी। पूर्व सांसद ने कहा है कि 25 जनवरी से लगातार वो और उनकी पार्टी एनसीपी के नेता लोकसभा स्पीकर से मिल रहे हैं लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। इसकी वजह से वो संसद के बजट सत्र में भी शामिल नहीं हो पाए।
हत्या के प्रयास के मामले में दोषी करार दिए गए
लक्षद्वीप के सांसद रहे मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा दी गई थी। निचली अदालत के इस फैसले को उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने कवारत्ती सेशन कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था। सेशन कोर्ट के फैसले के बाद लोकसभा में मोहम्मद फैजल की सदस्यता भी रद्द कर दी थी।
चुनाव आयोग को वापस लेनी पड़ी थी अधिसूचना
लक्षद्वीप सांसद मोहम्मद फैजल को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद लक्षद्वीप केंद्रशासित प्रदेश की एकमात्र लोकसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर 25 फरवरी को उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने अधिसूचना भी जारी कर दी थी, लेकिन केरल हाईकोर्ट के फैसले के बाद आयोग को इसे वापस लेना पड़ा था। चुनाव आयोग के फैसले को एनसीपी के नेता मोहम्मद फैजल ने सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी, जिसमें फैसला पूर्व सांसद के हक में आया था।
हाईकोर्ट के आदेश को लक्षद्वीप ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
जनवरी महीने में केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप प्रशासन ने केरल हाईकोर्ट के सजा पर रोक लगाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में लक्षद्वीप प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जल्द सुनवाई की मांग की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। लक्षद्वीप प्रशासन की याचिका पर सुनवाई 28 मार्च को होगी।
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