ऋषिकेश से झीलवाला तक चार लेन की सड़क पर वन्यजीवों के लिए बनेंगे 4 अंडरपास, होंगे कई फायदे, जानिए हर डिटेल
अंडरपास बनने से इन वन क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष में बहुत कमी आएगी। एक दशक पहले इसी स्थान पर एक नर हाथी ने डेढ़ साल की अवधि में करीब 18 लोगों को कुचलकर मार दिया था।

ऋषिकेश से झीलवाला तक बनेगा चार लेन का अंडरपास
Four Underpasses Between Rishikesh And Jheelwala: उत्तराखंड में ऋषिकेश और बड़कोट के वन क्षेत्र में वन्यजीवों को मानवीय दखल रहित सुरक्षित आवागमन की सुविधा देने के लिए ऋषिकेश से रानीपोखरी के झीलवाला तक बनने वाली चार लेन की सड़क में चार अंडरपास का निर्माण किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा समय में ऋषिकेश से झीलवाला तक दो लेन की सड़क है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण 600 करोड़ रुपये की लागत से अगले दो साल में चार लेन का करेगा।
20 किलोमीटर लंबी चार लेन सड़क
देहरादून के प्रभागीय वन अधिकारी नीरज शर्मा ने बताया कि केंद्र ने 20 किलोमीटर लंबी चार लेन सड़क के प्रथम चरण के निर्माण की अनुमति दे दी है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित सड़क का 10 किलोमीटर लंबा हिस्सा देहरादून वन प्रभाग की ऋषिकेश और बड़कोट रेंज से होकर गुजरेगा। शर्मा के मुताबिक, इस सड़क के तीन किलोमीटर भाग में हाथियों और अन्य वन्य जीवों के लिए मानव दखल रहित सुरक्षित आवागमन के वास्ते चार अंडरपास बनाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि अंडरपास बनाए जाने को लेकर देहरादून वन प्रभाग ने बाकायदा वैज्ञानिक रूप से अध्ययन करके जंगली हाथियों की ओर से अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले पारंपरिक वन मार्गों को चिन्हित किया है। शर्मा के अनुसार, अंडरपास बनने से इन वन क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष में बहुत कमी आएगी। एक दशक पहले इसी स्थान पर एक नर हाथी ने डेढ़ साल की अवधि में करीब 18 लोगों को कुचलकर मार दिया था।
वन्य जीवों और इंसानों दोनों का ही आवागमन सुरक्षित होगा
शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित सड़क पर अंडरपास बनने के बाद हाथी सहित अन्य वन्य जीवों और इंसानों दोनों का ही आवागमन सुरक्षित हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सड़क का बाकी 10 किलोमीटर भाग निजी संपत्तियों से होकर गुजरेगा। शर्मा के मुताबिक, वन विभाग 40 हैक्टेयर गैर-वन क्षेत्र मसूरी वन प्रभाग को हस्तांतरित करेगा, जिसमें दस साल तक वनीकरण व उसका रखरखाव किया जाएगा, जो अंततः वन आवरण बढ़ाने में सहायक होगा।
उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष और प्रमुख अभियंता राजेश शर्मा ने कहा कि जहां भी एलिवेटेड सड़क बनाई जाती हैं, वहां पर अंडरपास का निर्माण किया जाता है। उन्होंने कहा कि अंडरपास जब आबादी में बनते हैं, तो जनता इनका इस्तेमाल करती है और जब ये वन क्षेत्र में बनते हैं, तो वन्य जीवों द्वारा इनका उपयोग किया जाता है। राजेश शर्मा के अनुसार, जब वन्य जीव अंडरपास का इस्तेमाल करते हैं, तब उनका और इंसानों दोनों का ही अवागमन सुरक्षित हो जाता है।
ऋषिकेश से झीलवाला तक चार लेन की होने वाली इस सड़क परियोजना के लिए देहरादून वन प्रभाग की ऋषिकेश और बड़कोट रेंज में करीब तीन हजार पेड़ों पर आरियां चलेंगी।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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