'धनुष-बाण' से लेकर 'मशाल' तक, बदलते रहे शिवसेना के चुनाव चिह्न, ऐसा है इतिहास

निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को ‘मशाल’ चुनाव चिन्ह आवंटित किया है। उसे 'धनुष-बाण' चुनाव चिन्ह हासिल करने में 23 वर्षों का समय लगा था। शिवसेना के चुनाव चिन्ह का इतिहास जानिए।

शिवसेना के चुनाव चिन्ह का इतिहास

मुंबई: निर्वाचन आयोग से 'मशाल' चुनाव चिह्न मिलने के साथ शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत खेमा ने एक नई शुरुआत की है। हालांकि, पार्टी के लिए यह कोई नया चिह्न नहीं है क्योंकि इसने 1985 में भी इसका उपयोग कर एक चुनाव जीता था। शिवसेना के साथ 1985 में रहे छगन भुजबल ने मुंबई की मझगांव सीट पर हुए चुनाव में ‘मशाल’ चुनाव चिह्न के साथ जीत हासिल की थी। उस समय पार्टी का कोई स्थायी चुनाव चिह्न नहीं था। भुजबल ने बाद में बगावत कर दी और पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। अब वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक प्रमुख नेता है।

संबंधित खबरें

शिवसेना ने अतीत में नगर निकाय और विधानसभा चुनावों के दौरान भी 'मशाल' चुनाव चिह्न का इस्तेमाल किया था। शिवसेना का गठन बाल ठाकरे ने 1966 में किया था और इसे 'धनुष-बाण' चिह्न हासिल करने में 23 वर्षों का समय लगा था। शिवसेना को 1989 में राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त थी, जिसका मतलब है कि वह राज्य में एक चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कर सकती थी। लेकिन, 1966 से 1989 तक वह लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय चुनाव विभिन्न चिह्नों के साथ लड़ी।

संबंधित खबरें

करीब 33 साल बाद, निर्वाचन आयोग ने पिछले हफ्ते उसके 'धनुष-बाण' चिह्न के इस्तेमाल करने पर एक अंतरिम अवधि के लिए रोक लगा दी। शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत और एकनाथ शिंदे नीत खेमों के बीच तकरार के बाद आयोग ने यह आदेश जारी किया। इसने दोनों पक्षों को 'शिवसेना' नाम का इस्तेमाल नहीं करने को भी कहा। निर्वाचन आयोग ने सोमवार को ठाकरे खेमा को पार्टी का नाम 'शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे' आवंटित किया और मुख्यमंत्री शिंदे नीत खेमा को पार्टी का नाम 'बालासाहेबबांची शिवसेना' (बालासाहेब की शिवसेना) आवंटित किया।

संबंधित खबरें
End Of Feed