'खलासी' से 'टाइगर' तक का सफर...किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है शाहजहां शेख की कहानी
शेख ने 2004 में अपना खुद का झींगा कारोबार शुरू किया और उस समय तक उसने उत्तर 24 परगना जिले के नदी तटीय क्षेत्र संदेशखाली में अपनी छवि रॉबिनहुड जैसी बना ली थी।
पुलिस की गिरफ्त में शाहजहां शेख
Shahjahan Sheikh: पश्चिम बंगाल के संदेशखाली इलाके में यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपों को लेकर सुर्खियों में आए शाहजहां शेख का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। एक स्थानीय परिवहन कंपनी में हेल्पर (खलासी) की मामूली पृष्ठभूमि से शुरुआत के बाद वह इलाके का तथाकथित टाइगर बन गया। उसे 55 दिन तक फरार रहने के बाद आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। महिलाओं द्वारा शेख के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद उसे गुरुवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया। एक स्थानीय अदालत ने उसे 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। उसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने उसे पार्टी के सभी पदों से भी हटा दिया।
वाम मोर्चा सरकार में हुआ शेख का उदर
शेख का उदय राज्य में वाम मोर्चा सरकार के अंतिम चरण में शुरू हुआ। यात्री वाहन सेवाओं में हेल्पर के रूप में कुछ वर्षों तक काम करने के बाद, वह मछली के कारोबार में आ गया। उत्तर 24 परगना जिले में उस वक्त तैनात एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने बताया, उसका एक मामा मछली पालन व्यवसाय से जुड़ा था और शाहजहां ने कुछ समय तक उसकी मदद की। कुछ समय बाद तेजी से व्यवसाय बढ़ने के बाद वे संदेशखाली इलाके में इस व्यापार में शीर्ष पर पहुंच गए।
खुद का झींगा कारोबार शुरू किया
शेख ने 2004 में अपना खुद का झींगा कारोबार शुरू किया और उस समय तक उसने उत्तर 24 परगना जिले के नदी तटीय क्षेत्र संदेशखाली में अपनी छवि रॉबिनहुड जैसी बना ली थी। पूर्व पुलिस अधिकारी ने संकेत दिया कि शेख की जड़ें बांग्लादेश से जुड़ी हैं और वह 1990 के दशक के अंत में कथित तौर पर सीमा पार कर पश्चिम बंगाल आया था। माना जाता है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक स्थानीय विधायक के साथ उसकी निकटता से उसने इलाके के ईंट भट्ठा उद्योग पर अपना दबदबा कायम कर लिया, लेकिन 2011 में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने और राज्य में 34 साल के वाम शासन के समाप्त होने के बाद, शेख को अपना वर्चस्व बनाए रखने में परेशानी झेलनी पड़ी। इसलिए, उसने 2013 में पाला बदल लिया।
पूर्व मंत्री ने टीएमसी में भर्ती कराया
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर दावा किया कि क्षेत्र के एक प्रभावशाली पूर्व मंत्री ने शेख को तृणमूल में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूर्व मंत्री अभी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में है। उन्होंने कहा, पूर्व मंत्री ने ही महसूस किया था कि शेख से पार्टी को संदेशखालि में अल्पसंख्यक वोट हासिल करने में मदद मिलेगी। शेख ने 2019 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्र में पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके पुरस्कार के तौर पर उसे पंचायत चुनाव का टिकट दिया गया और उसने बहुत अच्छे मतों से जीत हासिल की।
टीएमसी की संदेशखाली इकाई का प्रमुख नियुक्त
शेख को पंचायत का उप-प्रधान बनाया गया और फिर पार्टी की संदेशखाली इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया। उसने 2022 में जिला परिषद की एक सीट जीती। बशीरहाट पुलिस जिले के एक अधिकारी ने बताया कि शेख को दोपहिया वाहनों का शौक है और उसके पास लगभग 20 दोपहिया वाहन और कुछ चार पहिया वाहन हैं। पिछले साल हुए पंचायत चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपे गए दस्तावेजों के अनुसार, शेख एक कारोबारी है जिसका सालाना कारोबार 19.8 लाख रुपये है और बैंक में 1.9 करोड़ रुपये से अधिक जमा है। इसके साथ ही वह करीब 43 बीघा जमीन और एक घर का मालिक है।
ईडी की टीम पर हमले का आरोपी
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद, इलाके के तृणमूल और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गई थी। उस घटना से जुड़ी प्राथमिकी में शेख का नाम दर्ज किया गया था। इसी साल पांच जनवरी को शेख के आवास में प्रवेश करने की कोशिश के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम को ग्रामीणों के भारी विरोध और हमले का सामना करना पड़ा था। ईडी टीम राशन वितरण घोटाले की जांच के सिलसिले में वहां गई थी।
महिलाओं ने खोला शेख के खिलाफ मोर्चा
उसके कुछ सप्ताह बाद, महिलाओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और शेख और उसके सहयोगियों पर जमीन हड़पने और महिलाओं के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उन सभी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए स्थानीय थानों का घेराव किया। इसके बाद शेख और उसके सहयोगयों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग तेज हो गई। इसके बाद वह फरार हो गया, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद पुलिस को उसे गिरफ्तार करना पड़ा। (भाषा इनपुट)
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