मालाबार से लेकर चंद्रयान-3 तक, समुद्र से लेकर चांद तक दुनिया ने देखी भारत की ताकत
Malabar Exercise : मालाबार युद्धाभ्यास इस बार ऑस्ट्रेलिया के समुद्र में हो रहा है। सिडनी के पूर्वी तट पर भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं सोमवार से सागर की लहरों पर अपनी ताकत दिखा रही हैं। ये चारो देश क्वाड के भी सदस्य हैं। मालाबार युद्धाभ्यास दो चरणों में हुआ। पहला चरण 11 अगस्त से 15 अगस्त तक हुआ।
23 अगस्त को चांद पर उतरने वाला है चंद्रयान-3
Malabar Exercise : दुनिया समुद्र से लेकर चांद तक भारत की ताकत देख रही है। भारत का चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर लैंडिंग कर इतिहास रचने से महज चंद कदम दूर है तो वहीं ऑस्ट्रेलिया के समुद्र में 27वें मालाबार युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना ने अपने शौर्य एवं पराक्रम का शानदार प्रदर्शन किया है। धरती से लेकर आसमान तक भारत एक सुपरपावर में उभर रहा है। जाहिर है कि भारत की यह सफलता चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों को कभी पसंद नहीं आएगी।
भारत के विध्वंसक पोतों ने दिखाया पराक्रम
बता दें कि मालाबार युद्धाभ्यास इस बार ऑस्ट्रेलिया के समुद्र में हो रहा है। सिडनी के पूर्वी तट पर भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं सोमवार से सागर की लहरों पर अपनी ताकत दिखा रही हैं। ये चारो देश क्वाड के भी सदस्य हैं। मालाबार युद्धाभ्यास दो चरणों में हुआ। पहला चरण 11 अगस्त से 15 अगस्त तक हुआ जबकि दूसरा युद्धाभ्यास का दूसरा चरण 16 से 21 अगस्त के बीच संपन्न हुआ है। इस युद्धाभ्यास में भारत की तरफ से स्वदेश निर्मित विध्वंसक आईएनएस कोलकाता, आईएनएस सहयाद्री, निगरानी विमान पी8i ने हिस्सा लिया है।
चार देशों की नौसेना ने दिखाया जटिल अभ्यास
आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर हुए अभ्यास के दौरान चारों देशों की नौसेना ने वा, सतह और समुद्र के अंदर जटिल अभ्यास किया। इस युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना, रॉयल आस्ट्रेलियन नेवी, जापान मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स और यूएस नेवी(अमेरिकी नौसेना) के युद्ध पोत, पनडुब्बी और विमानों ने अभ्यास में भाग लिया। नौसेना ने एक बयान में कहा, ‘लाबार के समुद्री चरण अभ्यास में हवा, सतह और समुद्र के अंदर जटिल और अधिक गहन अभ्यास देखने को मिला।’
23 अगस्त को चंद्रमा पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' करेगा चंद्रयान-3
भारत का चंद्रयान-3 आने वाले 23 अगस्त को चंद्रमा पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' कर इतिहास रचने जा रहा है। यह कीर्तिमान रचने से वह महज चंद कदम दूर है। हालांकि, लैंडिंग की जटलिताओं को ध्यान में रखते हुए इसरो ने कहा है कि वह लैंडिंग के लिए प्रस्तावित समय से दो घंटे पहले लैंडर के टेलिमेट्री की जांच करेगा। इस जांच में सब कुछ सही पाए जाने के बाद चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई जाएगी। यदि लैंडर विक्रम में किसी तरह की खामी आने का अंदेशा होगा तो लैंडिंग अगले कुछ दिनों के लिए टाल दी जाएगी। चंद्रयान-3, गत 14 जुलाई को अपनी यात्रा पर रवाना हुआ। तब से लेकर वह अब तक कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजर चुका है और चांद से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। अभी तक उसमें किसी तरह की कोई खामी एवं दिक्कत नहीं आई है।
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