G-20 Summit: कोणार्क से नालंदा तक...'विश्वोत्सव' में दिखी हिंदुस्तान की विरासत, जीता फिरंगियों का दिल

G-20 Summit: शाम के स्वागत समारोह की पृष्ठभूमि में नालंदा था, तो सुबह में भारत का कोणार्क चक्र फोकस में रहा। प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जी20 नेताओं का अभिवादन किया तो पृष्ठभूमि में ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की एक सुंदर छवि दिखी।

कोणार्क चक्र के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को समझाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी। (फाइल)

देश की राजधानी दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन (विश्वोत्सव) में जगह-जगह हिंदुस्तान की विरासत देखने को मिली। कोणार्क से नालंदा तक की छवियां कार्यक्रम के दौरान न सिर्फ फिरंगी मेहमानों के बीच आकर्षण का केंद्र बनीं बल्कि उनमें से कुछ का उन्होंने दिल भी जीता। सम्मेलन स्थल में ओडिशा के 13वीं सदी के कोणार्क मंदिर से लेकर बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय तक को प्रमुखता से पेश किया गया था। शनिवार (नौ सितंबर, 2023) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी ने प्रगति मैदान के ‘भारत मंडपम’ में विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और बाकी विश्व नेताओं व उनके जीवनसाथियों के लिए औपचारिक रात्रिभोज में मेहमानों का स्वागत किया। वहां यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल-प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय (यह विवि दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है) की प्रतिकृति प्रमुखता से नजर आई। मेहमानों का अभिवादन करते समय मोदी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित जी20 के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय के महत्व के बारे में बताते हुए भी देखा गया।

अधिकारियों की ओर से बताया गया कि नालंदा विश्वविद्यालय विविधता, योग्यता, विचार की स्वतंत्रता, सामूहिक शासन, स्वायत्तता और ज्ञान साझाकरण का प्रतिनिधित्व करता है - ये सभी लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुरूप हैं। नालंदा भारत की उन्नत शैक्षिक खोज की स्थायी भावना और भारत के जी20 प्रेसीडेंसी थीम वसुधैव कुटुंबकम के अनुरूप एक सामंजस्यपूर्ण विश्व समुदाय के निर्माण की प्रतिबद्धता का जीता जागता प्रमाण है।

शाम के स्वागत समारोह की पृष्ठभूमि में नालंदा था, तो सुबह में भारत का कोणार्क चक्र (13वीं शताब्दी में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल) फोकस में रहा। प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जी20 नेताओं का अभिवादन किया तो पृष्ठभूमि में ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की एक सुंदर छवि दिखी। कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिम्हादेव प्रथम के शासनकाल में किया गया था। 24 कड़ियों वाला कोणार्क चक्र भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज में समाहित है और यह भारत की प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है।

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