G-20: जो लग रहा था असंभव, वह इंडिया में हुआ संभव, घोषणापत्र के जरिए कूटनीतिक जीत के पीछे की यह है पूरी कहानी
G-20 Summit Latest News: जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों को दूर करते हुए शनिवार को सदस्यों देशों ने ‘नयी दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन’ को अपनाया जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कामयाबी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दौरान ‘‘वैश्विक विश्वास की कमी’’ को समाप्त करने की अपील की।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
G-20 Summit Latest News: देश की राजधानी दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के पहले दिन भारतीय कूटनीति का डंका बजा। जो चीज एक रोज पहले शुक्रवार तक असंभव सी लग रही थी, वह हमारे हिंदुस्तान ने संभव कर के दिखा दी। शनिवार (नौ सितंबर, 2023) को समिट के दौरान "नई दिल्ली जी-20 लीडर्स डिक्लेरेशन" न सिर्फ मंजूर हुआ बल्कि इस पर ज्वॉइंट स्टेटमेंट (संयुक्त बयान) भी आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मलेन के पहले दिन दूसरे सत्र की शुरुआत में यह घोषणा की थी कि इस डिक्लेरेशन पर सब रजामंद हो गए हैं और वे इसे मंजूर करने का ऐलान करते हैं। चूंकि, यह बड़ी कूटनीतिक परीक्षा थी और इसे पास करना इतना भी सरल नहीं था। आइए, जानते हैं कि इसके पीछे की क्या कहानी है:
ऐसा बताया गया कि शुक्रवार रात हुई गहन वार्ताओं से भारत को मिली जी20 घोषणापत्र जारी करने में मदद मिली है। राजनयिक सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा ने बताया कि चीन, रूस और प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ भारत की गहन बातचीत और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका व इंडोनेशिया के मजबूत समर्थन ने जी20 घोषणापत्र पर आम सहमति बनाने में इंडिया की मदद की।
यूक्रेन युद्ध को लेकर जी20 देशों के बीच घोर मतभेद के मद्देनजर एक डर था कि घोषणापत्र जारी हो पाएगा या नहीं। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों ने आगे बताया कि यूरोपीय संघ की ओर से इस घोषणापत्र पर सहमति जताने के बाद भारत चीन को यूक्रेन संघर्ष से संबंधित वर्णन पर सहमत होने के लिए मनाने में कामयाब रहा।
वैसे, घोषणापत्र को सर्वसम्मति से अपनाने से जुड़ी मोदी की घोषणा से थोड़ा लोगों को आश्चर्य हुआ था। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस के साथ चीन और पश्चिमी देशों ने संकेत दिया था कि वे यूक्रेन संकट पर वह अपने-अपने रुख से पीछे नहीं हटेंगे। फ्रांस के राजनयिक सूत्रों ने बताया कि भारत ने "देशों को एक साथ लाने की एक तरह की शक्ति और क्षमता" दिखाई है।
यूरोपीय सूत्रों ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर एजेंसी को बताया कि यह एक जटिल बातचीत थी। घोषणापत्र पर सहमति बनना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। घोषणापत्र में यूक्रेन पर "रूसी आक्रामण" शब्द शामिल नहीं किए जाने के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि पश्चिमी देश समग्र परिणामों से संतुष्ट थे। पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 सम्मेलन के घोषणापत्र में यह शब्द शामिल था।
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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