आनंद मोहन की रिहाई पर जी कृष्णैया की बेटी बोलीं, एक परिवार ही नहीं देश के साथ अन्याय
Anand Mohan Release: आनंद मोहन अब जेल से आजाद हो चुके हैं। उनकी रिहाई पर जी कृष्णैया के परिवार ने कहा कि बिहार सरकार विचार करे। यही नहीं जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने कहा कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी।
मुख्य बातें
- 1994 में जी कृष्णैया की हुई थी हत्या
- आनंद मोहन को पहले फांसी, बाद में उम्रकैद की सजा
- समय से पहले बिहार सरकार ने किया रिहा
Anand Mohan Release: वैसे तो बिहार सरकार ने कुल 27 कैदियों को रिहा किया है।लेकिन चर्चा बाहुबली आनंद मोहन की हो रही है। आनंद मोहन की रिहाई देख गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया की बेटी ने कहा कि बहुत दुख हो रहा है। यह बात अलग है कि आनंद मोहन ने अपनी रिहाई पर कहा कि सब कुछ नियम कायदे के तहत है, 14 साल से अधिक की सजा काट चुका हूं। उन्हें भी जी कृष्णैया के मारे जाने का दुख है। लेकिन इसे सियासी गुणा गणित के साथ जोड़कर देखा जा रहा है और नीतीश कुमार निशाने पर हैं। बिहार आईएएस एसोसिएशन ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है। दरअसल जिस नियम के संशोधन का फायदा आनंद मोहन को मिला है उस नियम को नीतीश कुमार के शासन काल में ही बनाया गया था।
रिहाई के खिलाफ करेंगे अपील
एएनआई से बात करते हुए जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने कहा कि बिहार सरकार को अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। वो नीतीश कुमार से अपील करती हैं एक बार फिर फैसले पर गौर करें। इस तरह के निर्णय से बिहार सरकार ने गलत उदाहरण पेश किया है। यह सिर्फ एक परिवार नहीं बल्कि पूरे देश के साथ अन्याय है। हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
2007 में मौत की सजा फिर उम्रकैद
आनंद मोहन सिंह को 1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या की हत्या के लिए 2007 में मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन एक साल बाद, पटना उच्च न्यायालय ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। गुरुवार सुबह चार बजे बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया।सोमवार शाम को, बिहार के कानून विभाग ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि बिहार राज्य दंड छूट परिषद की सिफारिश पर 14 साल की वास्तविक सजा या 20 साल की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई के लिए निर्णय लिया गया।
इंडियन सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (सेंट्रल) एसोसिएशन ने मंगलवार को आनंद मोहन सिंह और अन्य दोषियों को रिहा करने के अपने फैसले के लिए बिहार सरकार पर निराशा व्यक्त की- जो आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे थे। सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि एक सजायाफ्ता हत्यारे की रिहाई न्याय से वंचित करने के समान है।
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ललित राय author
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