पुतिन-जिनपिंग की जुगलबंदी, नक्शे के बहाने क्या चीन भी करेगा G-20 से किनारा ?
, शी जिनपिंग भी अब जी-20 समिट से किनारा कर सकते हैं। रॉयटर्स ने गुरुवार को बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भी जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली पहुंचने की संभावना नहीं है।
पुतिन और जिनपिंग की जुगलबंदी
G20 Summit: दिल्ली में जी-20 सम्मेलन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। दुनिया के 20 बड़े देश इसमें शिरकत करने जा रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गैर-मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी अरुणाचल प्रदेश वाले नए नक्शे के बहाने सम्मेलन से किनारा कर सकते हैं। जब जी-20 के मंच पर दुनियाभर के बड़े नेताओं का जमावड़ा लगेगा, तब दोनों बड़े नेताओं की गैर-मोजूदगी कई सवाल खड़े करेगी।
पुतिन नहीं आ रहे भारत, जिनपिंग पर सस्पेंस
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कॉल कर बताया था कि वह जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए निजी रूप से नहीं आएंगे। पुतिन इसके बजाय अपने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को दिल्ली भेजेंगे। दरअसल, फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से पुतिन रूस नहीं छोड़ रहे हैं। उन्होंने बेलारूस और ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान जैसे पूर्व स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस) देशों की यात्राएं जरूर की हैं। वह तेहरान भी पहुंचे थे।
वहीं, शी जिनपिंग भी अब जी-20 समिट से किनारा कर सकते हैं। रॉयटर्स ने गुरुवार को बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भी जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली पहुंचने की संभावना नहीं है। शी जिनपिंग आर्थिक संकटों से निपटने में लगे हैं। चीन धीमी अर्थव्यवस्था, युवा चीनियों के लिए कम नौकरियां और रियल एस्टेट संकट से जूझ रहा है।
पश्चिम के खिलाफ चीन-रूस एक साथ
भारत द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में इन नेताओं की गैर-मौजूदगी जटिल वैश्विक स्थिति को दर्शाती है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पश्चिमी और गैर-पश्चिमी ताकतों के बीच विभाजन बढ़ रहा है। यह उजागर करता है कि कैसे रूस और चीन जैसे बड़े देश पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए रणनीतिक रूप से एक साथ आ गए हैं। मॉस्को ने भी गुरुवार को एक बयान जारी कर रूस और चीन के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए जी7 और जी20 जैसे मंचों का इस्तेमाल करने के लिए पश्चिम की आलोचना की।
बाइडन को उम्मीद, जिनपिंग आएंगे
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि चीन के उनके समकक्ष शी जिनपिंग भारत में हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। बाइडन ने सम्मेलन में राष्ट्रपति शी के हिस्सा लेने को लेकर संवाददाताओं के सवाल पर कहा कि मुझे उम्मीद है कि वह जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
भारत को मिली अहमियत से चीन चिंतित
इस बीच एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) में साउथ एशिया इनिशिएटिव्स की निदेशक फरवा आमेर ने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग न लेने को इस बात के सबूत के रूप में देखा जा सकता है कि चीन इस समय भारत को केंद्र यानी नेतृत्व का स्थान सौंपने के लिए इच्छुक नहीं है। आमेर ने कहा कि अब तक का सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम, जो कुछ लोग कह सकते हैं कि अपेक्षित था, वह राष्ट्रपति शी का भारत द्वारा आयोजित आगामी जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा ना लेने का फैसला है। इस कदम के बहुत से अर्थ हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह अनुमान लगाया जा सकता है भारत को नेतृत्व की कमान सौंपने के लिए चीन इच्छुक नहीं है, विशेषतौर पर इस क्षेत्र में और व्यापक पड़ोस में। यह फैसला प्रमुख भूमिका और प्रभाव बनाए रखने के चीन के इरादे को रेखांकित करता है जो क्षेत्र में नाजुक शक्ति संतुलन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
गलवान संघर्ष के बाद तनाव बढ़ा
उन्होंने बताया कि साल 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से चीन-भारत संबंधों में बढ़ते तनाव और अनसुलझे सीमा मुद्दों को देखा गया है। कई दौर की राजनयिक चर्चाओं और कोर कमांडरों की हालिया बैठक के बावजूद, सीमा विवादों का स्पष्ट और आसान समाधान सामने नहीं आ रहा है। हाल में संपन्न ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक के संकेत थे, लेकिन असल में बातचीत एक छोटे आदान-प्रदान तक ही सीमित रही, जो संबंधों में गहरी जटिलताओं को दर्शाती है।
आमेर ने कहा कि इसके बाद चीन द्वारा एक नया नक्शा जारी किया गया, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश और विवादित अक्साई चिन पठार पर उसने अपनी संप्रभुता का दावा किया, जिससे तनाव और बढ़ गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा चीन के दावे को बेतुका बताए जाने सहित भारत के कड़े विरोध ने स्थिति की गंभीरता को बताया है। (आईएएनएस इनपुट)
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अमित कुमार मंडल author
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