Times Now Summit 2024: गगनयान मिशन में कई अहम सेफ्टी टेस्ट जारी, 2025 के अंत तक होगा शुरू...बोले ISRO वैज्ञानिक एम शंकरन
एम शंकरन ने कहा कि आमतौर पर स्पेसक्राफ्ट परफॉर्मेंस के लिए तैयार किया जाता है, सेफ्टी दूसरी प्राथमिकता होती है। लेकिन हमने गगनयान मिशन में इसका खास ध्यान रखा है।
ISRO वैज्ञानिक एम शंकरन
Times Now Summit 2024: यूआरएससी (URSC), इसरो (ISRO) डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के डायरेक्टर व वैज्ञानिक एम शंकरन टाइम्स नाउ समिट 2024 के मंच पर पहुंचे। उन्होंने इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा- गगनयान के मिशन के कई हिस्से थे, फेलियर रेट को ध्यान में रखा गया था, क्रू को बचाने का उद्देश्य था। लॉन्च व्हीकल जब ऑर्बिट पर जाएगा तो इमरजेंसी होने पर क्रू सुरक्षित रहना चाहिए। क्रू एस्केप टेस्ट अभी चल रहा है। हम 2-3 अनक्रूड मिशन का संचालन कर रहे हैं, अगर सभी सेफ्टी मिशन पूरे हो जाते हैं तो अगले साल के अंत तक हम मिशन शुरू कर सकते हैं।
दुनिया हमारी तरफ देख रही है...
सबसे अधिक चैलेंजिंग क्या था, इस सवाल पर एम शंकरन ने कहा कि अप्रोच अलग था, आमतौर पर स्पेसक्राफ्ट परफॉर्मेंस के लिए किया जाता है, सेफ्टी दूसरी प्राथमिकता होती है। लेकिन ह्यूमन फ्लाइट ऐसे नहीं जा सकता, इसमें दो-तीन फेलियर हो सकते हैं जिसका ध्यान रखना होता है। इसलिए स्पेसक्राफ्ट में नए सिस्टम लाए जा रहे हैं ताकि ये सफल हो सके। मिशन को लेकर बहुत उम्मीदें हैं, दुनिया हमारी तरफ देख रही है। अमेरिका को कमर्शिलय क्रू फ्लाइट को लेकर दिलचस्पी है। ऐसे मिशन के लिए हमारे पास बैकअप होना चाहिए, इसरो से अलग किसी का बैकअप होना चाहिए। इसी तरह वो भी हमारी तरफ देख रहे हैं, ताकि उन्हें भी बैकअप मिले।
सुविधाओं में हो रही बढ़ोतरी
भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में सुविधाओं को लेकर उन्होंने कहा कि हमारे कैंपस में अब कई तरह की सुविधाएं हैं। बेंगलुरू एयरपोर्ट के पास भी नया सेंटर बनाया गया है। यहां कई तरह की ट्रेनिंग सुविधाएं होंगी। चंद्रमा पर 2040 तक अंतरिक्ष यात्री भेजने के मिशन पर उन्होंने कहा, अगले साल हम स्पेस में दो एयरक्राफ्ट भेजने जा रहे हैं, जो वहां सेपरेट हो जाएंगे। हम एक स्पेसक्राफ्ट से दूसरे में जाने की सुविधा भी डेवलप कर रहे हैं। 20240 तक हम कई मिशनों पर करेंगे।
सरकार की मदद के बिना संभव नहीं
सरकार की मदद के बिना लंबा प्रोग्राम नहीं चल सकता। सरकार के समर्थन के बिना चंद्रमा, मंगल पर जाना संभव नहीं है। इसमें हमें धैर्य चाहिए होता है, सरकार को भी धैर्य रखना होता है। सरकार के समर्थन के बिना हमारे लिए ऐसा करना संभव नहीं होता। मैं अब तक 129 सैटेलाइट से जुड़ा रहा हूं, कहना चाहूंगा कि हर सैटेलाइस स्पेस में गया। हमारे फाउंडर विक्रम साराभाई ने हमें बताया था कि मिशनों का उपयोग आम जनता की भलाई में होना चाहिए और हमने ऐसा किया। हम इसी दिशा में आगे बढ़ते हैं, इसी के तहत चंद्रयान, नाविक जीपीएस बनाया। एक सफलता मिलती है तो दूसरी भी आगे जारी रहती है।
रातोंरात नहीं मिली सफलता
न सिर्फ सरकार ने इसमें मदद की है, बल्कि हर क्षेत्र से मदद मिली है। सिर्फ रातोंरात सफलता नहीं मिली है। 31 अगस्त के चंद्रयान-3 मिशन के लिए लंबे समय से तैयारियां हो रही थीं। सबसे अहम है कि हम दुनिया को दिखा रहे हैं कि यह हमारे अपने प्रयासों से संभव हुआ है। हमने लोगों के लिए, युवाओं के लिए किया है और वो भी ऐसा करने के लिए प्रेरित होते हैं।
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