गाजीपुर लैंडफिल आग: लोगों का जीना हुआ मुश्किल, सांस लेने में भारी दिक्कत, कहा- हमें यहां मरने के लिए छोड़ दिया गया
दिल्ली में रविवार शाम से गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी भीषण आग के चलते आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की। लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
गाजीपुर लैंडफिल में आग के बाद जहरीला धुआं
Ghazipur Landfill Fire: दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल से निकलने वाले जहरीले धुएं ने सोमवार को स्थानीय निवासियों को जहरीली सांस लेने के लिए मजबूर कर दिया। इस घटना के बाद लोग कूड़े के पहाड़ को लेकर राजनेताओं को कोसने लगे, जो अभी भी शहर को झुलसा रहा है। सोमवार को गाजीपुर लैंडफिल में भीषण आग लगने के घंटों बाद भी वहां से धुएं का घना गुबार आसमान की ओर उठ रहा था। दिल्ली अग्निशमन सेवा के अनुसार, कचरे के विशाल पहाड़ से पैदा हुई गैसों के कारण रविवार शाम लैंडफिल में बड़ी आग लग गई। गाजीपुर लैंडफिल साइट के आसपास गाजियाबाद की खोड़ा कॉलोनी, वैशाली, इंदिरापुरम इलाके पड़ते हैं।
जहरीला धुंआ, सांस लेने में दिक्कतें
घरोली गांव के राम कुमार ने कहा, आग लगे हुए 15 घंटे हो गए हैं। यह धुआं कोई आम धुआं नहीं है, यह बहुत जहरीला है। हम जलन के कारण अपनी आंखें खुली नहीं रख पा रहे हैं और सांस लेने में कठिनाई हो रही है। कई निवासियों ने पीटीआई को बताया कि धुएं के कारण वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं। उन्होंने एमसीडी और सरकार पर उन्हें बेहतर जीवन देने के लिए कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया।
सिर्फ चुनावों के दौरान आते हैं नेता
स्थानीय निवासी इलियास खान ने कहा, 15 साल हो गए। मंत्री केवल चुनावों के दौरान हमारे पास आते हैं। लेकिन उसके बाद एक भी हमारे दरवाजे पर यह जानने के लिए नहीं आता कि हमें कोई समस्या है या नहीं। यह लैंडफिल हमारे लिए अभिशाप है। हम हर दिन दुर्गंध झेलने को मजबूर हैं। अब इस आग ने हमारे लिए कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर दी हैं। वे (मंत्री) क्यों चाहते हैं कि हम मर जाएं?
छोड़ना पड़ रहा घर
हृदय रोगी राकेश कुमार ने कहा कि उन्हें अपने रिश्तेदार के यहां जाना पड़ा क्योंकि वह अब और घुटन बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा कि यह केवल मेरी स्थिति नहीं है, कई लोग इसी कारण से अपना घर छोड़ रहे हैं। एक अन्य निवासी बिल्किस ने कहा कि लैंडफिल अभी भी वहीं है जहां वह पहले था, क्योंकि नेताओं ने कभी भी अपने वादों को पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा, अब वे फिर से यहां आएंगे और सिर्फ वोट लेने के लिए अपनी चिंता दिखाएंगे। कुछ नहीं होगा।
स्कूल नहीं जा पा रहे हैं बच्चे
महफूज ने कहा कि जब उन्होंने लगभग 20 साल पहले इस क्षेत्र में एक घर खरीदा था, तो लैंडफिल इतना बड़ा नहीं था। यहां इतने बड़े कूड़ेदान जैसा कुछ नहीं था। सरकार कोई उचित समाधान क्यों नहीं ढूंढ पा रही है? धुएं के कारण हम अपने बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज पा रहे हैं। अग्निशमन विभाग को रविवार शाम 5.22 बजे आग लगने की सूचना मिली और आग बुझाने के लिए 14 दमकल गाड़ियों को भेजा गया था।
2022 में लगी थी भीषण आग
यह पहली बार नहीं है कि डंपयार्ड से आग लगने की घटना सामने आई है। इससे पहले 2022 में लैंडफिल में आग लगने की तीन घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें 28 मार्च की घटना भी शामिल थी, जिसे 50 घंटे से अधिक समय के बाद बुझाया गया था। (PTI Input)
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अमित कुमार मंडल author
करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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