NDA vs 'INDIA': घोसी उपचुनाव कैसे बना प्रतिष्ठा का सवाल? कास्ट पॉलिटिक्स का समीकरण समझिए

Ghosi ByPoll 2023: विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलेपमेन्टल इंक्लूसिव एलाइंस 'इंडिया' की पहली अग्नि परीक्षा है। उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में एनडीए बनाम 'इंडिया' के बीच सीधी जंग है। लड़ाई बेहद दिलचस्प है, ऐसे में आपको इस चुनाव का जातीय समीकरण समझना चाहिए।

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घोसी विधानसभा उपचुनाव का सियासी समीकरण समझिए।

NDA vs 'INDIA': आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने 'इंडिया' नाम से गठबंधन बनाया है, एकता की बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के घोषी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में एकजुटता का पैमाना भी सेट करने की कोशिश की जा रही है। इस चुनाव में भाजपा और समाजवादी के बीच सीधी टक्कर देखी जा रही है। ये उपचुनाव भाजपा और विपक्षी गठबंधन दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है।

आखिर कैसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बना एक उपचुनाव

यहां ये समझना बेहद जरूरी है कि एक सीट पर हो रहे उपचुनाव से किसी भी पार्टी को कोई असर नहीं पड़ने वाला है, किसी तरह का समीकरण नहीं बदलेगा। मगर जिस तरह से दोनों ही पार्टियां अपने-अपने दिग्गजों को चुनावी मैदान पर दंभ भरने के लिए उतार रही है, इससे समझा जा सकता है कि दोनों ही दलों के लिए ये सिर्फ चुनाव नहीं बल्कि प्रतिष्ठा की जंग है। 5 सितंबर को घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा ने दारा सिंह चौहान को मैदान में उतारा है, वहीं समाजवादी पार्टी ने सुधाकर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।

उपचुनाव से समीकरण पर कितना फर्क पड़ेगा?

घोसी से कोई हारे या कोई जीते ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, मगर विपक्षी दलों ने एकजुटता का पैमाना सेट करने की कोशिश की है। कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने चिट्ठी लिखकर समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। मतलब साफ है कांग्रेस ने यहां उम्मीदवार ना उतारकर ये बता दिया कि अब इंडिया एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। मगर इन सबके बीच घोसी उपचुनाव में कास्ट पॉलिटिक्स का समीकरण भी बेहद रोचक नजर आ रहा है। आपको ऐसे समीकरण को समझना चाहिए।

कास्ट पॉलिटिक्स का टेस्टिंग लैब बना घोसी

विपक्ष और भाजपा के बीच जहां प्रतिष्ठा की लड़ाई छिड़ गई है, वहीं दूसरी ओर घोसी उपचुनाव में जातीय समीकरण का प्रयोग भी होता नजर आ रहा है। दोनों ही समाजवादी पार्टी और भाजपा ने ठाकुर मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने और सेंध लगाने की कोशिश में दिग्गज नेताओं को जिम्मा सौंपा है। सपा ने ठाकुर प्रत्याशी सुधाकर सिंह को मजबूत करने के लिए अपने सबसे दिग्गज ठाकुर नेता पूर्व मंत्री और जमानिया विधायक ओमप्रकाश सिंह को जिम्मेदारी दी है। वहीं भाजपा ने राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ और अरुण सिंह को इस काम पर लगाया है।

जातीय समीकरण सेट करके जीतेगी भाजपा?

सबसे खास बात ये है कि दारा सिंह चौहान ने हाल ही में भाजपा का दामन थामा है, अखिलेश यादव उन्हें हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। वो किसी भी हाल में बगावत का बदला लेने की कोशिश में हैं। वहीं राजभर, चौहान और दलित वोटर्स को लुभाने के लिए भी कोशिशें जारी हैं। भाजपा ने 15 से अधिक मंत्रियों को मैदान में उतार दिया है। इनमें आशीष पटेल और संजय निषाद भी शामिल हैं। इसके अलावा ओमप्रकाश राजभर भी अपने पुराने साथी अखिलेश यादव को घोसी उपचुनाव में धूल चटाने का दावा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण का कितना बोलबाला ये समझना बेहद आसान है, मगर घोसी के चुनाव में किसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है इस पर हर किसी की नजर होगी।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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