होमलाइव टीवीcitiesशहर फोटोजअगली
खबर

ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन पर वैश्विक सहयोग जरूरी, इंटरपोल सभा में अमित शाह की अपील

इंटरपोल की 90वीं आम सभा में गृहमंत्री अमित शाह ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को लताड़ा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस कैंसर के खिलाफ सभी मुल्कों को बिना किसी पूर्वाग्रह के एक साथ आना जरूरी है।

amit shah interpolamit shah interpolamit shah interpol

इंटरपोल की 90वीं सभा में गृहमंत्री अमित शाह

मुख्य बातें
  • नई दिल्ली में 90वीं इंटरपोल महासभा
  • ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन रोकने पर जोर
  • वैश्विक देशों से एक साथ आने की अपील

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में 90वीं इंटरपोल महासभा के समापन सत्र में कहा कि आज के युग के अपराधों और अपराधियों को रोकना है तो हमें कन्वेंशनल जियो-ग्राफिक बॉर्डर से ऊपर उठकर सोचना होगा। ‘क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म’ से लड़ने के लिए ‘अक्रॉस-बॉर्डर कोऑपरेशन’ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सभी देशों को ‘टेररिज्म’ और ‘टेररिस्ट’ की व्याख्या पर सहमति बनानी होगी।टेररिज्म के खिलाफ एक साथ लड़ने की प्रतिबद्धता और ‘गुड टेररिज्म, बैड टेररिज्म’ तथा ‘टेररिस्ट हमला, बड़ा या छोटा’ जैसा नेरेटिव दोनों एक साथ नहीं चल सकते।

संबंधित खबरें

गृहमंत्री के भाषण के खास अंश

संबंधित खबरें
  • पिछले 100 सालों में, इंटरपोल विश्व के 195 देशों का एक व्यापक और प्रभावी मंच बन गया है, जो पूरे विश्व में अपराधों पर नकेल कसने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत इंटरपोल के सबसे पुराने सदस्यों में से एक है, 1949 से भारत इंटरपोल के साथ जुड़ा हुआ है। आज के विश्व में इंटरपोल जैसा मंच कोऑपरेशन और मल्टीलेटरिज़्म के लिए बेहद ज़रूरी और महत्वपूर्ण है।
  • भारत सरकार और गृह मंत्रालय तथा विभिन्न पुलिस बलों की ओर से सार्वजनिक सुरक्षा, विश्व शांति और स्थिरता के लिए, इंटरपोल के सार्थक प्रयासों और योगदान की सराहना करता हूँ।
  • क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। शायद सबसे पहले क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर चिंतन और चिंता, दोनों भारत में शुरू हुए हैं। जब कभी भी राज्‍य की संकल्‍पना की गई होगी, तब पुलिस व्‍यवस्‍था शायद राज्‍य के सबसे पहले महत्‍वपूर्ण कार्यों के रूप में सामने आयी होगी। नागरिकों की सुरक्षा किसी भी राज्य की सबसे प्राथमिक जिम्मेदारी होती है।
  • हमारी भारतीय विचारधारा में न्यायशास्त्र और दण्डनीति पर गहरा चिंतन उपलब्ध है। हजारों वर्ष पूर्व रामायण में तथा विदुर, शुक्राचार्य, चाणक्य, थिरुकुरल आदि ने अपने विचारों में “एमीकेबल जस्टिस एंड ड्यू पनिशमेंट” के सिद्धांत को स्वीकार किया है।
  • महाभारत के शान्तिपर्व में अध्याय 15 का एक श्लोक है, जिसका अर्थ है –अपराधियों को नियंत्रण में रखने के लिए न्याय की व्यवस्था हर प्रभावी एवं सफल शासकीय तंत्र का महत्वपूर्ण अंग होती है।न्याय ही है, जो समाज में सुशासन सुनिश्चित करता है। न्याय अगर रात्रि के समय जगता है, तभी नागरिक और समाज निर्भीक रहते हैं, और एक अच्छे समाज का निर्माण होता है।“
  • पिछले 8 साल में प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर आवश्यक कदम उठा रही है कि हमारा पुलिस बल किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहे। भविष्य की चुनौतियों के समाधान के लिए भारत सरकार ने हाल ही में कई नए कदम उठाए हैं।
  • भारत सरकार ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्‍थापना की हैI I.C.J.S. के रूप में क्रिमिनल जस्टिस के मुख्य स्तंभों, अर्थात ई-कोर्ट,
  • ई-प्रिजन, ई-फॉरेंसिक तथा ई-प्रॉसिक्यूशन को ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम’ (CCTNS) के साथ जोड़ा जा रहा है।
  • भारत सरकार ने यह भी तय किया है कि आतंकवाद, नारकोटिक्स और आर्थिक अपराध जैसे अपराधों पर राष्‍ट्रीय डेटाबेस विकसित किया जाए।साइबर अपराध के विरुद्ध व्यापक जवाबी कार्रवाई सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार ने इंडियन साइबर-क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (I-4C) की स्थापना की है।
  • आज के डाटा और सूचना क्रांति के समय में, अपराध और अपराधी दोनों का स्वरुप बदल गया है। वर्तमान समय में अपराध की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है, अगर ऐसे अपराधों को और अपराधियों को रोकना है, तो कन्वेंशनल जियो-ग्राफिक बॉर्डर से ऊपर उठकर हमें सोचना और कार्य करना होगा।
  • जहाँ एक ओर ‘अपराधी सिंडिकेट’ अत्याआधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सांठ-गांठ कर रहे है, इसे देखते हुए, मुझे कोई कारण नहीं दिख रहा है कि दुनिया के देश एक-दूसरे के साथ सहयोग और समन्वय ना करें!
संबंधित खबरें
End Of Feed