Go First Airlines की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, दिवालिया होने से पहले DGCA से पट्टेदारों ने की ये मांग
Go First Airlines : गो फर्स्ट के वकीलों ने कहा है कि स्वैच्छिक दिवालियापन और स्थगन का अनुरोध लेनदारों को बकाया भुगतान से बचने के लिए नहीं बल्कि कंपनी को बचाने के लिए था।
गो फर्स्ट एयरलाइंस। (प्रतीकात्मक फोटो)
Go First Airlines : इन दिनों वाडिया ग्रुप वाली एयरलाइंस गो फर्स्ट आर्थिक संकटों से जूझ रही है। इस एयरलाइन के बारे में ये भी कहा जाने लगा है कि दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी है, क्योंकि कंपनी ने पैसा और तेल दोनों होने खत्म होने की बात कही है। गो फर्स्ट एयरलाइन को 20 विमानों के पट्टे दिए गए थे और अब इन पट्टेदारों ने डीजीसीए से उनका रजिस्ट्रेशन रद्द करने और लौटाने की बात कही है। इन दिनों वाडिया ग्रुप वाली एयरलाइंस गो फर्स्ट आर्थिक संकटों से जूझ रही है। इस एयरलाइन के बारे में ये भी कहा जाने लगा है कि दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी है, क्योंकि कंपनी ने पैसा और तेल दोनों होने खत्म होने की बात कही है। गो फर्स्ट एयरलाइन को 20 विमानों के पट्टे दिए गए थे और अब इन पट्टेदारों ने डीजीसीए से उनका रजिस्ट्रेशन रद्द करने और लौटाने की बात कही है।
क्या कहता है कानून
इस पूरे मामले से जुड़े हुए लोगों ने नियम और कानूनों का हवाला देते हुए बताया था कि पट्टा देने वालों के अनुरोध करने के बाद DGCA को इसकी सूचना अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करनी होती है और फिर उसे पांच कार्य दिवसों में विमान का पंजीकरण रद्द करना होता है।
एयरलाइंस ने क्या कहा
एयरलाइंस ने यूएस की फर्म Pratt & Whitney से पट्टे पर स्पेयर इंजन लेने के मामले पर कहा था कि स्थिति में सुधार होते ही वे अपने विमान पुन: हवा में ले जाएंगे। हालांकि गो फर्स्ट ने आरोप भी लगाया कि अमेरिकी फर्म ने इंजनों की आपूर्ति पर अपनी बात नहीं रखी, जिसने एयरलाइंस को अपने एयरबस A320neo बेड़े के 50 प्रतिशत और बाद में सभी परिचालनों को बंद करने के लिए मजबूर किया। बता दें कि गो फर्स्ट को 20 विमान वापस करने के लिए कहने वाले पट्टेदार उनकी मुश्किलों को कहीं न कहीं बढ़ा सकते हैं और इससे बाहर निकलना एयरलाइन के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं, एनसीएलटी में पट्टेदारों ने आज गो फर्स्ट के स्वैच्छिक दिवालियापन की बात कहने और उसके वित्तीय दायित्वों पर रोक के अनुरोध का विरोध किया।
एयरलाइंस के वकील ने रखा पक्ष
एनसीएलटी ने आज करीब चार घंटे तक मामले की सुनवाई की, जिसके बाद कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक गो फर्स्ट के वकीलों ने कहा है कि स्वैच्छिक दिवालियापन और स्थगन का अनुरोध लेनदारों को बकाया भुगतान से बचने के लिए नहीं बल्कि कंपनी को बचाने के लिए था। वकीलों ने इस बात की पुष्टि भी की कि एयरलाइंस की बैंक गारंटी को भुनाया जा रहा है और उन्हें विमान के पट्टे समाप्त करने का नोटिस मिला है। वहीं, ये भी बताया गया कि एयरलाइंस पर 11,463 करोड़ रुपये की देनदारी है और उसने 9 मई तक अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं और 15 मई तक टिकट बिक्री भी बंद कर दी है।
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