गोवा की सियासत में 'सुस्सेगाड मानसिकता' पर छिड़ी बहस, सीएम सावंत और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज; जानें सारा विवाद

Goa: गोवा की सियासत में आए दिन नए मुद्दे तूल पकड़ते नजर आ रहे हैं। पहले सूबे में हुआ कैश फॉर जॉब स्कैम के मुद्दे पर सियासत, फिर पर्यटन पर सवाल खड़े हुए। इसी कड़ी में गोवा में बेरोजगारी के बीच सीएम प्रमोद सावंत का 'सुस्सेगाड मानसिकता' पर बयान आया है। क्या यह समस्या का हल है?

प्रमोद सावंत, मुख्यमंत्री, गोवा।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत द्वारा गोवावासियों के "सुस्सेगाड रवैये" को छोड़ने की अपील ने एक नई बहस को जन्म दिया है। हालांकि उन्होंने इस टिप्पणी को सीधे तौर पर राज्य में बढ़ती बेरोजगारी से नहीं जोड़ा, लेकिन यह बयान ऐसे समय में आया है जब गोवा 8.7% की बेरोजगारी दर से जूझ रहा है, जो राष्ट्रीय औसत 4.5% से लगभग दोगुना है।

क्या बोले गोवा के सीएम प्रमोद सावंत?

युवा नेता सम्मेलन में बोलते हुए, सावंत ने कहा कि "सुस्सेगाड मानसिकता" पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन की विरासत है, जिसने लोगों को आलसी बनाए रखने का काम किया। उन्होंने गोवावासियों से इस मानसिकता को छोड़कर अधिक सक्रिय बनने और राज्य के विकास में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा, "हम सुबह 9 बजे दुकान खोलते हैं, 12:30 बजे बंद कर देते हैं, फिर शाम 7 बजे पूरी तरह बंद कर देते हैं। यह आदत पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। हमें इस सोच से बाहर निकलना होगा।"

सीएम ने यह भी बताया कि गोवा में कई रोजगार अवसर, विशेषकर एनजीओ और निजी क्षेत्रों में, बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा भरे जा रहे हैं। उन्होंने स्थानीय युवाओं से इन अवसरों का लाभ उठाने और सरकार की योजनाओं का उपयोग करके एनजीओ या छोटे व्यवसाय शुरू करने का सुझाव दिया।

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