Godhra Riots: गोधरा कांड केस में उम्र कैद की सजा काट रहे दोषियों को मिली SC से जमानत, जिंदा जला दिए गए थे 59 तीर्थयात्री
Godhra Riots:27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में आगा दी गई थी। इस ट्रेन में आग लगाने से पहले डिब्बों के दरवाजे बंद कर दिए गए थे। इस अग्निकांड में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक जिंदा जल गए थे। जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे।
गोधरा कांड: जिंदा जला दिए गए थे 59 तीर्थयात्री
मुख्य बातें
- सुप्रीम कोर्ट से 8 दोषियों को मिली जमानत
- सुप्रीम कोर्ट ने 4 दोषियों को जमानत देने से किया इनकार
- गुजरात सरकार ने SC में किया जमानत का विरोध
Godhra Riots: गोधरा साबरमती ट्रेन आग कांड में सुप्रीम कोर्ट से उम्रकैद की सजा काट रहे 8 दोषियों को जमानत मिल गई है। इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उन चार दोषियों को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिनको निचली अदालत से फांसी की सजा मिली थी, हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने फांसी को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
चीफ जस्टिस की कोर्ट ने कहा कि दोषियों में से सजा ए मौत पाए गए चार लोगों को छोड़कर बाकी उम्र कैद वाले दोषियों को जमानत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत की शर्तें पूरी कर 8 दोषियों को जमानत पर रिहा किया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत की शर्तें निचली अदालत तय करेंगी।
किस आधार पर मिली जमानत
डी वाई चंद्रचूड़ के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने आठ दोषियों को इस आधार पर जमानत दे दी कि उन्होंने 17 साल से अधिक समय जेल में बिताया है। दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद के मद्देनजर इनको जमानत पर रिहा करने की अपील की। जमानत पाने वाले सभी 8 दोषी निचली अदालत और हाईकोर्ट से मिली अजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
गुजरात सरकार ने क्या कहा
गुजरात सरकार ने दोषियों को जमानत न देने की अपील सुप्रीम कोर्ट में की थी। गुजरात सरकार की ओर से सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को दोहराया कि गोधरा ट्रेन कोच जलाने के मामले के दोषी गंभीर अपराधों में शामिल थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आरोपी ने ट्रेन के दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया था। हालांकि, दोषियों के वकीलों ने कहा कि उन्होंने 17 साल जेल में काटे हैं।
क्या है गोधरा कांड
27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में आगा दी गई थी। इस ट्रेन में आग लगाने से पहले डिब्बों के दरवाजे बंद कर दिए गए थे। इस अग्निकांड में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक जिंदा जल गए थे। जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। गोधरा कांड में 2011 में एक स्थानीय अदालत ने 31 अभियुक्तों को दोषी ठहराया और 63 लोगों को बरी कर दिया था। निचली अदालत ने 11 अभियुक्तों को मृत्युदंड और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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