सीवर सफाई के दौरान मरने वालों को देना होगा 30 लाख रुपये का मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
Supreme Court Order For Sewer Cleaners: सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है कि सरकारी अधिकारी सीवर सफाई के दौरान मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देंगे। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य दिव्यांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा।
मृतकों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश।
Supreme Court News: देश में सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौत की घटनाओं पर गंभीर रुख अपनाते हुए उच्चतम नयायालय ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी अधिकारियों को मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि सीवर की सफाई के दौरान स्थायी दिव्यांगता का शिकार होने वालों को न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा।
सर्वोच्च अदालत ने जारी किए इससे जुड़े कई निर्देश
पीठ ने कहा, 'केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए।' फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य दिव्यांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा। न्यायालय ने कई निर्देश जारी किए, जिन्हें पढ़ा नहीं गया। पीठ ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों और इसके अलावा, उच्च न्यायालयों को सीवर से होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से न रोका जाए।
जनहित याचिका पर आया सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक जनहित याचिका पर आया। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है। जुलाई 2022 में लोकसभा में उद्धृत सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कम से कम 347 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 40 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुईं।
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