IAF की ताकत बढ़ाने को 114 मल्टीरोल फाइटर जेट्स खरीदेगी सरकार, चीन के J-20 को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब
IAF squadron : हर साल चीन लगभग 125 जेट विमान अपनी वायुसेना में शामिल करने का प्लान बना रहा है। वहीं दूसरी तरफ चीन पाकिस्तान को भी हथियार और ड्रोन सप्लाई कर उसे मजबूत कर रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना ने 114 मल्टीरोल फाइटर जेट की खरीद की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान धीरे-धीरे फेजआउट हो रहे हैं।
हर साल चीन लगभग 125 जेट विमान अपनी वायुसेना में शामिल करने का प्लान बना रहा है। वहीं दूसरी तरफ चीन पाकिस्तान को भी हथियार और ड्रोन सप्लाई कर उसे मजबूत कर रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना ने 114 मल्टीरोल फाइटर जेट की खरीद की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि अगले दशक के खत्म होने से पहले भारतीय वायुसेना के पास जरूरी फाइटर जेट्स की स्ट्रैंथ मौजूद होगी। 2035 तक भारत अपने फाइटर जेट की स्क्वाड्रन स्ट्रैंथ को पूरा करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है।
चीनी वायुसेना के पास 2250 हैं विमानचीन की वायुसेना की ताकत पर नजर डालें तो चीन ने अपने सभी पुराने फाइटर एयरक्रफ्ट को 4.5 से 5वीं पीढ़ी के विमानों से बदलना शुरू कर दिया है। पिछले साल ही अमेरिकी मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि चीनी वायुसेना के पास 2250 विमान हैं, जिनमें 1800 फाइटर एयरक्रफ्ट हैं। इनमे से 800 से ज्यादा चौथी श्रेणी के हैं और अब चीन पांचवी श्रेणी के विमान J-20 को भी अपनी वायुसेना में शामिल कर चुका है। पश्चिमी मीडिया में छपी कई रिपोर्ट्स के मुताबिक 100 ज्यादा J-20 एयरक्रफ्ट चीन की वायुसेना में शामिल किए जा चुके हैं। पिछले साल से ही चीन ने इसका प्रोडक्शन तेज किया और हर साल तकरीबन 125 J-20 और FC-31 का प्रोडक्शन करने का लक्ष्य है। यानी 2025 तक 500 के करीब 5वीं श्रेणी के फाइटर चीन के पास होंगे। FC-31 कैरियर बेस्ड पांचवी श्रेणी का फाइटर एयरक्राफ्ट है, और इसी के चलते वायुसेना ने नए मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद की प्रक्रिया तेज कर दी है।
'एक्सेपटंस ऑफ नेसेसिटी' जल्द होगा जारीरक्षा मंत्रालय की तरफ से पहले ही RFI यानि रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन जारी किया था और अब रक्षा मंत्रालय की तरफ से अगले 3-4 महीने में AON यानी 'एक्सेपटंस ऑफ नेसेसिटी' जारी किया जा सकता है। 'एक्सेपटंस ऑफ नेनेसिटी' किसी भी सैन्य खरीद प्रक्रिया का दूसरा चरण है।
ये विमान हैं रेस में शामिल114 MRFA की रेस में रूस का सुखोई-35 और मिग-29, फ्रांस का रफाल, अमेरिका के F-16, F-18, स्वीडन के ग्रिपेन और यूरोप का युरोफाइटर टाइफून शामिल है। भारत ये खरीद मेक इन इंडिया के तहत करना चाहता है, यानि कोई भी एयरक्रफ्ट चुना जाता है तो उसका निर्माण भारत में ही होगा। AON जारी कोने के बाद पहला एयरक्रफ्ट को आने में 7 से 10 साल का वक्त लग सकता है। लगातार कम होते फाइटर स्क्वाड्रन की कमी पूरा करने के लिए स्वदेशी फाइटर तेजस को वायुसेना में शामिल किया जा रहा है। जिसमें LCA तेजस अलग-अलग वेरियंट के कुल 123 एयरक्रफ्ट लेने हैं, जिसमें LCA तेजस के 40 विमान आ चुके हैं और 83 LCA Mk 1A फाइटर एयरक्राफ्ट की डिलीवरी अगले साल जनवरी से शुरू हो सकेगी। हर साल 6-7 तेजस Mk1 एयरक्राफ्ट वायुसेना को मिलेंगे।
क्या है मौजूदा फ्लीट की स्थितिअगर मौजूदा फ्लीट की स्थिति पर नजर डालें तो फिलहाल मिग के अलग-अलग वेरियंट जिसमें मिग 21 बिज , मिग 21 टाइप 96 और मिग 27 पहले ही फेज आउट हो गए हैं। बाकी बचे मिग 21 बाइसन के 3 स्क्वाड्रन 2025 तक पूरी तरह से फेजआउट हो जाएंगे और मिग 29 भी 2030 से फेज आउट होना शुरू हो जाएंगे। साथ ही जैगुआर के 3 में से पहला स्क्वाड्रन और मिराज 2000 के 3 स्क्वाड्रन भी फेज आउट होना शुरू हो जाएंगे। जैगुआर के 6 स्कवाडर्न भी फेज आउट के लिए तैयार हो जाएंगे। साल 2035 तक कुल 12 स्क्वाड्रन फेजआउट हो जाएंगे।
AMCA प्रोजेक्ट भी सरकार की मंजूरी के लिए है तैयारभारतीय वायुसेना 5वीं पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए डीआरडीओ के साथ मिलकर काम कर रही है। AMCA प्रोजेक्ट भी सरकार की मंजूरी के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके अलावा डीआरडीओ के ADA यानी एयरोनाटिक्ल डिजाइन एजेंसी LCA Mk 2 पर भी तेजी से काम कर रही है। पहली बार एयरो इंडिया में अमेरिकी सरकार पांचवी पीढ़ी के F-35 स्टील्थ फाइटर को लेकर पहुंची तो MRFA की रेस में अपनी दावेदारी लेकर F-16 ने जमकर उड़ान भरी, लेकिन भारतीय वायुसेना ने ये साफ कर दिया कि पांचवी पीढ़ी के विमान जो भी वायुसेना में भविष्य में शामिल होंगे वे स्वदेशी ही होंगे।
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