पश्चिम बंगाल में क्या है विधायकों को शपथ दिलाने का विवाद? अब CM ममता ने राज्यपाल को घेरा
West Bengal: पश्चिम बंगाल में इन दिनों विधायकों को शपथ दिलाने से जुड़े विवाद ने तूल पकड़ लिया है। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों और सूबे के राज्यपाल के बीच कशमकश का दौर जारी है। इस बीच ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्यपाल को विधायकों के शपथ लेने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
राज्यपाल के लिए क्या बोलीं ममता बनर्जी?
Mamata Banerjee on West Bengal Governor: पश्चिम बंगाल विधानसभा के उपचुनाव में निर्वाचित तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों को शपथ दिलाने के स्थान को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को यह प्रकिया रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
सीएम ममता ने राज्यपाल पर उठाया सवाल
ममता बनर्जी ने कहा कि राजभवन से कई घटनाओं की खबर आने के बाद उन्हें महिलाओं से शिकायतें मिली हैं जिन्होंने दावा किया है कि वे वहां जाने में असुरक्षित महसूस करती हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय में कहा, 'मेरे विधायकों सायंतिका बंदोपाध्याय और रायत हुसैन सरकार को निर्वाचित हुए एक करीब एक महीना हो गया है लेकिन अब तक वे शपथ नहीं ले पाए हैं। राज्यपाल उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं। यह जनता है जिसने उन्हें चुना है, न कि राज्यपाल ने। वह शपथ लेने के उनके अधिकार से वंचित नहीं कर सकते हैं।'
उन्होंने कहा, 'क्यों सभी को राजभवन जाना चाहिए? राज्यपाल (विधानसभा) अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को अधिकृत कर सकते हैं या स्वयं विधानसभा आ सकते हैं। महिलाओं ने मुझे सूचित किया है कि राजभवन से आई खबरों के मद्देनजर वे वहां जाने से डरती हैं।'
क्या है विधायकों के शपथ ग्रहण से जुड़ा विवाद?
राज्यपाल ने हाल में हुए उपचुनाव में निर्वाचित दोनों विधायकों को बुधवार को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, उन्होंने यह कहते हुए आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया कि परंपरा के अनुसार उपचुनाव जीतने वाले उम्मीदवार के मामले में राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को शपथ दिलाने का काम सौंपते हैं। राज्यपाल विधानसभा में शपथग्रहण समारोह आयोजित करने से इनकार करते हुए बुधवार दोपहर नयी दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
इसके जवाब में वराहनगर से निर्वाचित विधायक सायंतिका बंदोपाध्याय और भगबानगोला से निर्वाचित हुए रायत हुसैन सरकार विधानसभा परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के सामने बैठ गए। उन्होंने मांग की कि राज्यपाल बोस विधानसभा के अंदर शपथग्रहण समारोह आयोजित कराकर उन्हें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के कर्तव्य का निर्वहन करने दें।
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