SpaDex की सफलता के बाद अब ISRO की नजरें नए मिशन पर, श्रीहरिकोटा से होगा 100वां लॉन्च

आगामी मिशन के बारे में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि 2025 में हमारे पास कई मिशन हैं। शुरुआत करने के लिए हमारे पास जनवरी के महीने में NVS-02 को लॉन्च करने वाला जीएसएलवी का मिशन है।

ISRO mission

ISRO का नया मिशन

GSLV Mission To mark 100th Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि इसरो जनवरी 2025 में जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) के जरिए एनवीएस-02 उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है। इसरो प्रमुख ने सोमवार को कहा कि यह मिशन आगामी वर्ष में पूरे किए जाने वाले कई मिशनों में से एक है। जीएसएलवी प्रक्षेपण इसरो के 100वें मिशन को चिह्नित करेगा।

2025 में इसरो के पास कई मिशन

आगामी मिशन के बारे में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि 2025 में हमारे पास कई मिशन हैं। शुरुआत करने के लिए हमारे पास जनवरी के महीने में NVS-02 को लॉन्च करने वाला जीएसएलवी का मिशन है। 29 मई, 2023 को GSLV-F12 रॉकेट ने 2,232 किलोग्राम वजन वाले NVS-01 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

इसरो के एक बयान के अनुसार, NVS-01 उपग्रह में एक स्वदेशी परमाणु घड़ी लगी है और इसे व्यापक सेवा कवरेज के लिए एल1 बैंड सिग्नल सहित NavIC की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया था। NVS-02 मिशन में इस प्रगति को जारी रखने की संभावना है, जिससे एडवांस सुविधाओं के साथ NavIC प्रणाली और मजबूत होगी। यह घोषणा सोमनाथ द्वारा PSLV-C60 के सफल प्रक्षेपण के बाद की गई, जो SpaDeX और अन्य पेलोड ले गया था।

इसरो ने सोमवार रात 10 बजे अपने महत्वाकांक्षी मिशन PSLV-C60 SpaDeX को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इस मिशन के साथ भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाले देशों के चुनिंदा क्लब में शामिल हो गया। इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी60 ने स्पाडेक्स और 24 पेलोड को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इसे श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से स्पाडेक्स और नए पेलोड के साथ पीएसएलवी-सी60 को लॉन्च किया गया है।

क्या है SpaDeX मिशन?

SpaDeX का पूरा नाम स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (Space docking experiment) है। इस मिशन के तहत ISRO ने दो उपग्रहों, चेजर और टारगेट को अंतरिक्ष में भेजा। इन दोनों उपग्रहों को आपस में जोड़कर अंतरिक्ष डॉकिंग का प्रदर्शन किया गया। यह तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशनों और अन्य बड़े अंतरिक्ष यानों के निर्माण में बहुत उपयोगी होगी।

अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष संबंधी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जरूरी होगी, जिसमें चंद्रमा पर मानव को भेजना, वहां से नमूने लाना और देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन - भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन करना शामिल है। डॉकिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग तब भी किया जाएगा जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक से अधिक रॉकेट प्रक्षेपण की योजना बनाई जाएगी। इसरो ने कहा कि पीएसएलवी रॉकेट में दो अंतरिक्ष यान- स्पेसक्राफ्ट ए (SpaDeX01) और स्पेसक्राफ्ट बी (SpaDeX02) को एक ऐसी कक्षा में रखा जाएगा जो उन्हें एक दूसरे से पांच किलोमीटर दूर रखेगी। बाद में, इसरो मुख्यालय के वैज्ञानिक उन्हें तीन मीटर तक करीब लाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद वे पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक साथ मिल जाएंगे।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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