मोरबी हादसा,आप की एंट्री और कांग्रेस का रवैया,क्या 27 साल के भाजपा राज पर डालेगा असर !
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा को जीत मिली थी। लेकिन जहां तक सीटों की बात है, तो 1990 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब 182 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी को 100 से कम सीटें मिली थी। 2017 में भाजपा को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि 1990 के बाद उसे कभी भी 115 से कम सीटें नहीं मिली थीं।
- सीटें घटने के बावजूद भाजपा को 2017 में करीब 50 फीसदी वोट मिले थे।
- आम आदमी पार्टी की एंट्री ने त्रिकोणीय मुकबला कर दिया है।
- कांग्रेस अंतर्कलह से परेशान, भारत जोड़ो यात्र से गुजरात दूर।
Gujarat Election 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) के तारीखों का ऐलान हो गया है। राज्य में दो चरणों में 1 और 5 दिसंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को परिणाम आएंगे। 2022 में होने वाला गुजरात का यह चुनाव कई मायने में खास है। पहली खास बात यह है कि साल 1990 के बाद ऐसा पहला चुनाव है, जिसमे त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी (APP)सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है। और वह भाजपा (BJP), कांग्रेस (Congress) के लिए नई चुनौती है। दूसरी अहम बात यह है कि भाजपा के सामने 27 साल की सत्ता बचाने की चुनौती है। और तीसरी अहम बत यह है कि दिसंबर के चुनाव मोरबी केबल पुल टूटने और उसमें 141 लोगों की हुई मौत के साये में होंगे।
2017 में भाजपा को 27 साल में सबसे कम सीट मिली थीं
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गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा को जीत मिली थी। लेकिन जहां तक सीटों की बात है, तो 1990 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब 182 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी को 100 से कम सीटें मिली थी। 2017 में भाजपा को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि 1990 के बाद उसे कभी भी 115 से कम सीटें नहीं मिली थीं। इन चुनावों में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। जो कि कांग्रेस का साल 1985 के चुनावों के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन था।
हालांकि इन चुनावों में भाजपा के लिए दो अच्छी बातें यह हुईं थी। एक तो सीटें कम होने के बाद भी उसे बहुमत का जादुई आंकड़ा (92सीट) आसानी से मिल गया था। दूसरे उसकी सीटें घटने के बावजूद उसे करीब 50 फीसदी वोट मिले थे। इन चुनावों में भाजपा को 49.05 फीसदी और कांग्रेस को 41.44 फीसदी वोट मिले थे। जबकि नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम रहते भी भाजपा को कभी इतने वोट नहीं मिले थे।
कांग्रेस का क्या होगा असर
2017 में राहुल गांधी ने जीएसटी को बड़ा मुद्दा बनाया था, इसके अलावा पटेल आंदोलन ने भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ कर दी थी। जिसकी अगुआई हार्दिक पटेल कर रहे थे। इसके अलावा कांग्रेस ने राहुल गांधी के हिंदुत्व रूप को भी काफी प्रोजेक्ट किया था। जिसका असर यह हुआ था कि गुजरात में भाजपा को 100 सीटों से नीचे ला दिया था। और खुद भी पिछले 32 साल का सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 77 सीटें जीती थी। लेकिन इस बार कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को देखा जाय तो, राहुल गांधी वहां से नहीं गुजर रहे हैं। जबकि इस यात्रा को राहुल गांधी के रिवाइवल के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी चुनाव प्रचार के लिए, भारत जोड़ो यात्रा को ब्रेक देकर वहां जाएंगे। लेकिन यह हकीकत है कि पार्टी इस समय गुजरात में नेतृत्व के संकट से गुजर रही है। क्योंकि जिस हार्दिक पटेल को राहुल गांधी जोर-शोर से कांग्रेस में लाए थे, वह भाजपा में शामिल हो चुके हैं। और कई स्थानीय नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी है।
आम आमदी पार्टी में कितना दम
पंजाब विधानसभा चुनावों में जीत के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुजरात पर भी बड़ा दांव लगा रहे हैं। आम आदमी पार्टी चुनावों के लिए काफी आक्रामक तैयारी में दिख रही है। केजरीवाल खुद एक रैली में कह चुके हैं, कि आईबी ने जो रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है। उसके अनुसार आम आदमी पार्टी को 90 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं। और आम आदमी पार्टी ने मुफ्त बिजली, पानी और स्कूल को मुद्दा बनाया है और वह लगातार भाजपा के रेवड़ी कल्चर पर आक्रामक रवैया अपना रही है। इसके पहले निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपनी स्थिति दर्ज कराई थी। और सूरत नगर निगम में कांग्रेस पार्टी को झटका दिया था।
मोरबी हादसा बनेगा चुनावी मुद्दा
इस बीच मोरबी केबल ब्रिज टूटने और उसमें 141 लोगों की मौत ने विपक्ष को भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा दे दिया है। ऐसे में यह देखना होगा कि चुनावों मे इसका क्या असर हो सकता है। खास तौर से काठियावाड़ा इलाके में जहां पर मोरबी स्थित है। मोरबी वही जगह है, जहां पर 1979 में बाढ़ के दौरान किए गए राहत कार्य से नरेंद्र मोदी को सार्वजनिक जीवन में नई पहचान मिली है। और मोदी-शाह की जोड़ी किसी भी हालत में अपने गृह राज्य में हारना नहीं चाहेगी। खास तौर से जब 2024 में लोक सभा चुनाव होने हैं।
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